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________________ त्रयोदश अध्याय ६५६ ग्रनन्तर महानाश होता है । सब कुछ नहीं, परन्तु बहुत कुछ नष्ट हो जाता है। इस तरह प्रत्येक युग के अनंतर भी विनाश होता है । कोई इतना बड़ा युद्ध होता है, जिस में मानव जगत का बहुत बड़ा भाग समाप्त हो जाता है। ऐसी दशा में कौन कह सकता है कि प्राज जो महायुग चल रहा है, इस से पहले के २७ महायुगों में संसार की और मनुष्य की स्थिति क्या थी ? और इस से पहले के छः मन्वन्तरों में क्या थी ? X प्राज जो ज्ञान हमारे पास है, वह अधिक से अधिक दस या पन्द्रह हज़ार वर्षों का है । वह भी अधूरा और धुन्वला सा । पाँच हज़ार वर्ष पहले का ज्ञान इस से कुछ ग्रच्छा है । ठोस ज्ञान सिर्फ तीन या साढ़े तीन हज़ार वर्षों का है। इन तीन या साढ़े तीन हज़ार वर्षों में कहीं भी ऐसा उल्लेख नहीं मिलता कि साधारणतः उन लोगों की श्रायु बहुत अधिक थी या क़द बहुत लम्बे थे ? महाभारत के काल में श्री कृष्ण को श्रायु देहान्त के समय १२५ वर्ष की थी । श्राचार्य द्रोण की आयु ४०० वर्ष, द्रुपद इनसे भी बड़े थे, और लड़ रहे थे । भीष्मपितामह की आयु १६० वर्ष की थी । शान्तनु के भाई वल्हीक की आयु १८५ वर्ष की थी। महर्षि व्यास जिन्होंने महाभारत लिखा है, तीन सौ वर्षों तक जीवित रहे । इन सव महापुरुषों की श्रायु महाभारत में लिखी है । इन के अतिरिक्त कुछ ऐसे महापुरुष भी हैं, जिनका उल्लेख रामायण में भी श्राता है और इस के पश्चात् महाभारत में भी । ये महापुरुष हैं - महर्षि मार्कण्डेय, इन्द्र ( देवता नहीं, बल्कि एक महाराज), नारद, और श्री परशुराम आदि । इन सब का उल्लेख राम की कथा में भी याता है, और महाभारत की कथा में भी । श्री राम त्रेतायुग में हुए, महाभारत द्वापर के ग्रन्त पर हुंग्रा, इस का अर्थ यह है कि यह . -
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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