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________________ VAN प्रश्नों के उत्तर www.rrrrrrrrrrin. की शोध में वे इधर-उधर घूमते-भटकते हैं और उड़ते-उड़ते भोजन में - भी आ गिरते हैं और भोजन की तलाश में निकले विचारे गरीब प्राणी.....स्वयं ही अविवेकी एवं असंयमी मनुष्यों के भोजन बन जाते हैं। इससे - अनेक जीवों की हिंसा होती है, पाप कर्म को बन्ध होता है और उनः . में कोई जन्तु विषैला हुआ तो वह शरीर को स्वस्थ एवं मजबूत बनाने : : के लिए किया जाने वाला भोजन उसके लिए मुसीबत का कारण बन :जाता है। क्योंकि रात्रि में वह भोजन को नतो.पकाते समय: भलीभांति देख सकता है और न खाते समयः । इसी कारण रात्रि भोजनः . को अन्धा भोजन कहा है और अहिंसा के उपासक के लिए वह किसी... भी स्थिति-परिस्थिति में ग्राह्य नहीं है। प्रश्न- दीपक, लैम्प या बिजली को प्रकाश कर लेने पर हम जीवों को ठीक तरह से देख सकते हैं। अतः उक्त. प्रकाश में - रात को भोजन किया जाए तो क्या हानि है. १..: :: :: :: . उत्तर- यह तर्क भी कोई मूल्य नहीं रखती। क्योंकि दीपक, लैम्प:एवं बिजली आदि का प्रकाश इतना तेज नहीं होता जितना कि सूर्य का ..." प्रकाश है। फिर वह सूर्य के प्रकाश की तरह सार्वत्रिक,अखण्ड,उज्ज्वल और आरोग्यप्रद नहीं होता। कृत्रिम रोशनी कितनी भी पॉवर की क्यों न हो फिर भी वह सूर्य की रोशनी का: ज़रा भी मुकाबला नहीं .. कर सकती। अनेक ऐसे जानवर हैं, जो उसः कृत्रिम प्रकाश में दिखाई . . .. नहीं देते । अतः दिन दिन है और रातः रात ही है। कृत्रिम प्रकाश से. . हम रात को कभी भी दिन के रूप में नहीं बदल सकते। ... सूर्य के प्रकाश में उजेले के साथ कुछ ऐसे तत्त्व भी हैं, जिनका .. हमारे स्वास्थ्य पर अच्छा असर पड़ता है। सूर्य का तापम्हमारे भोजन :: -: आदि को बिमारी के अनेक कोटाणुओं से बचाता है। क्योंकि उस ताप ..
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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