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________________ ( ख ) आगारधर्म एकादश अध्याय विषय तीन गुणव्रत दिक्परिमाण व्रत ५०० ४५० उपभोग- परिभोग- परिमाण ५०२ पृष्ठ विषय गृहस्थ साधना कर सकता ४४६ है ? अहिंसाणुव्रत राजा और अहिंसा सिंह और हिंसा दुग्धदोहन और हिंसा बचाते हुए यदि कोई मर जाए तो क्या पाप है ? रात्रिभोजन भोजन और हिंसा . बिना छना पांनी ४६३ . बिजली और भोजन ४६४ ठण्डे प्रकाश में किया गया ४६५ व्रत ४५३. कर्मादान ५०७ ४५८ अनर्थदण्ड - विरमण व्रत ५१४ शिक्षा-व्रतसामायिक व्रत ५१८ ५.१६ भाव सामायिक कैसे हो ? ५२३ साधु और श्रावक की सामायिक ४६० ४६२ मुक्ति-साधन का मार्ग ग्रहिसा केवलोच में ग्रन्तर सामायिक का आसन मुख किस र ? ४६८ दो घड़ी ही क्यों ? ४७१ देशावकाशिक व्रत सत्य अणुव्रत. श्रस्तेय अणुव्रत ब्रह्मचर्यं प्रणुव्रत परिग्रह परिमाण अणुव्रत ४९१ ४७७ पौषधोपवास व्रत ४८४ अतिथि संविभाग व्रत उपसंहार * * * अनगार - धर्म द्वादश अध्याय ५३८ सत्य ५४१ ग्रस्तेन ५४३ ब्रह्मचर्य . पृष्ठ ४९९ 4 ५२७ ५२८ ५२९ · ५.२९ ५३१ ५३३ ५३५ ५.३७ ५.५० ५५१ ५५२
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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