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________________ १०६ भगवई पोग्गलगहण-पदं २४ जीवे ण भते । जाइ दब्बाइ ओरालियसरीरत्ताए गेण्हइ ताइ कि ठियाइ गेण्हइ ? अट्टियाइ गेण्हइ ? गोयमा | ठियाइ पि गेण्हइ, अट्ठियाइ पि गेण्हइ ।।। २५ ताइ भते । किं दव्वनो गेण्हइ ? खेत्तयो गेण्हइ ? कालो गेण्हइ ? भावग्रो गेण्हइ ? गोयमा | दव्वनो वि गेण्हइ, खेत्तो वि गेण्हइ, कालो वि गेण्हइ, भावग्रो वि गेण्हइ । ताइ दव्वो अणतपदेसियाइ दव्वाइ, खेत्तयो असखेज्जपदेसोगाढाइ-एव जहा पण्णवणाए पढमे आहारुद्देसए जाव' निवाघाएण छद्दिसि, वाघाय पडुच्च सिय तिदिसि, सिय चउदिसि, सिय पचदिसि ।। २६ जीवे ण भते । जाइ दवाइ वेउव्वियसरीरत्ताए गेण्हइ ताइ कि ठियाइ गेण्हइ ? अट्ठियाइ गेण्हइ ? एव चेव, नवरं-नियम छद्दिसि । एव आहारग सरीरत्ताए वि ।। २७. जीवे ण भते ! जाइ दव्वाइ तेयगसरोरत्ताए गेण्हइ-पुच्छा। ___ गोयमा । ठियाइ गेण्हइ, नो अट्ठियाइ गेण्हइ। सेस जहा पोरालियसरीरस्स । कम्मगसरीरे एव चेव । एव जाव भावनो वि गेण्हइ ।। २८. जाइ दव्वाइ दव्वनो गेण्हइ ताइ किं एगपदेसियाइ गेण्हइ ? दुपदेसियाई गेण्हइ ? एव जहा भासापदे जाव' प्राणुपुन्वि गेण्हइ, नो अणाणुपुदि गेण्हइ । २६ ताइ भते । कतिदिसि गेण्हइ ? गोयमा । निव्वाघाएण जहा पोरालियस्स ॥ ३०. जीवे ण भते । जाइ दव्वाइ सोइदियत्ताए गेण्हइ ०? जहा वेउव्वियसरीर । एव जाव जिभिदियत्ताए। फासिदियत्ताए जहा पोरालियसरीर । मणजोगत्ताए जहा कम्मगसरीर, नवर-नियम छद्दिसि । एवं वइजोगत्ताए वि । कायजोगत्ताए' जहा ओरालियसरीरस्स ॥ ३१. जीवे ण भते । जाइ दव्वाइं आणापाणुत्ताए गेण्हइ ०? जहेव ओरालियसरीर त्ताए जाव सिय पचदिसि ।। ३२. सेव भते ! सेव भते ! त्ति ॥ १. प० २८।१। २. प० ११ । ३. कायजोगत्ताए वि (क, स)। ४. त्ति केइ चउवीसदडएण एताणि पदाणि भण्णति जस्स ज अत्थि (अ, क, ख, ता, व, म, स), असौ पाठ. वाचनान्तराभिघायकोस्ति । उद्देशकपूर्ती लिखितस्यास्य मूले प्रवेशो जात इति सम्भाव्यते ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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