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________________ भगवई गोयमा | नेरइया कतिसचिया वि, कतिमचिया वि, अवत्तव्त्रगसचिया वि || ६८ सेकेणद्वेण जाव ग्रवत्तव्वगसचिया वि ? गोमा । जेण नेरइया सखेज्जएण पवेसगरण पविसति तं ण नेरइया कतिसचिया, जेण नेरडया ग्रसखेज्जएण पवेसणएण पविमति ते ण नेरड्या कतिसचिया, जेण नेरइया एक्करण पवेसणएण पविसति ते गं ने रइया ग्रवत्तव्वगसचिया । से तेणद्वेण गोयमा ! जाव ग्रवत्तव्वगस चिया वि । एवं जाव थणियकुमारा ॥ ६६ पुढविक्काइयाण - पुच्छा । गोयमा । पुढविकाइया नो कतिसचिया, प्रकतिसचिया, नो अवत्तब्बगसंचिया ॥ ८३० १०० सेकेणट्टेण भते ! एव वुच्चइ - जाव नो प्रवत्तव्वगसत्रिया ? गोयमा । पुढविकाइया प्रसखेज्जएण पवेसणएण पविसति । से तेणद्वेण जाव नो ग्रवत्तव्वगसचिया । एव जाव वणस्सइकाइया' । वेदिया जाव वेमाणिया जहा नेरइया ॥ १०१ सिद्धाण - पुच्छा । गोयमा ! सिद्धा कतिसचिया, नो प्रकृतिसचिया, ग्रवत्तव्वगसचिया वि ।। १०२. से केणट्टेणं जाव ग्रवत्तव्वगसचिया वि ? गोयमा । जेण सिद्धा सखेज्जएण पवेसणएण पत्रिसति ते ण सिद्धा कतिसचिया, जेण सिद्धा एक्कएण पवेसणएण पविसति तेण सिद्धा अवत्तव्वगसचिया । से तेणट्टेण जाव श्रवत्तव्वगस चिया वि ॥ १०३. एएसि ण भते ! नेरइयाण कतिसचियाण ग्रकतिसचियाण ग्रवत्तव्वगसचियाण य करे कय रेहितो 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? 0 विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा नेरइया ग्रवत्तव्वगस चिया, कतिसचिया संखेज्जगुणा, कतिसचिया ग्रसखेज्जगुणा । एव एगिदियवज्जाण जाव वेमाणियाण अप्पाबहुग | एगिंदियाण नत्थि ग्रप्पावहुग ॥ १०४ एएसि ण भते । सिद्धाण कतिसचियाण अवत्तव्वगपचियाण य कयरे कयरेहिंतो ' • अप्पा वा ? वहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा । सव्वत्थोवा सिद्धा कतिसचिया, अवत्तव्वगसचिया सखेज्जगुणा ॥ १. वनस्पतयस्तु यद्यप्यनन्ता उत्पद्यन्ते तथाऽपि प्रवेशनक विजातीयेभ्य आगतानां यस्तत्रोत्पादम्त द्विवक्षित, असङ्ख्याता एव विजातीयेभ्य उद्वृत्तास्तत्रोत्पद्यन्त इति सूत्रे उक्तम् (वृ) । २. स० पा० – कयरेहितो जाव विसेसाहिया । ३ म० पा० – कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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