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________________ ४७ वीसइम सत (अट्ठो उद्देसो) ८२१ छठ्ठद्देसे जाव' से तेणट्टेण गोयमा ! एव वुच्चइ-पुव्वि वा जाव उववज्जेज्जा, नवर-तेहि सपाउणणा, इमेहि आहारो भण्णति, सेस त चेव ॥ ४४ पुढविक्काइए ण भते । इमासे रयणप्पभाए सक्करप्पभाए य पुढवीए अतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए ईसाणे कप्पे पुढविक्काइयत्ताए उववज्जि त्तए० ? एव चेव । एव जाव ईसीपन्भाराए उववाएयव्वो ॥ ४५ पुढविक्काइए ण भते । सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए य पुढवीए अतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे जाव ईसोपभाराए, एव एतेण कमेण जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अतरा समोहए समाणे जे भविए सोहम्मे जाव' । ईसीपभाराए उववाएयव्वो।। पुढविक्काइए ण भते ! सोहम्मीसाणाण सणकुमार-माहिदाण य कप्पाण अतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुढविक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से ण भते | कि पुदिव उववज्जित्ता पच्छा आहारेज्जा ? सेस त चेव जाव से तेणटेण जाव निक्खेवओ ।। पुढविक्काइए ण नते । सोहम्मीसाणाण सणकुमार-महिंदाण य कप्पाण अतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए सक्करप्पभाए पुढवीए पुढविक्काइयत्ताए उववज्जित्तए० ? एव चेव । एव जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो। एव सणकुमार-माहिंदाण वभलोगस्स य कप्पस्स अतरा समोहए, समोहणित्ता पुणरवि जाव अहेसत्तमाए उवावाएयव्वो। एव वभलोगस्स लतगस्स य कप्पस्स अतरा समोहए, पुणरवि जाव अहेसत्तमाए। एव लतगस्स महासुक्कस्स कप्पस्स य अतरा समोहए, पुणरवि जाव अहेसत्तमाए। एव महासुक्कस्स सहस्सारस्स य कप्पस्स अतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए । एव सहस्सारस्स आणय-पाणयकप्पाण य अतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए। एव आणय-पाणयाण प्रारणच्च-' याण य कप्पाण अतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए । एव आरणच्चुयाण गेवेज्जविमाणाण य अतरा जाव अहेसत्तमाए। एव गेवेज्जविमाणाण अणुत्तरविमाणाण य अतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए। एव अणुत्तरविमाणाण ईसीपब्भा राए य पुणरवि जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो ॥ ४८ आउक्काइए ण भते । इमीसे रयणप्पभाए सक्करप्पभाए य पुढवीए अतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे अाउकाइयत्ताए उववज्जित्तए. ? सेस जहा पुढविक्काइयस्स जाव' से तेणद्वेण । एव पढम-दोच्चाण' अतरा समोहए जाव ईसीपब्भाराए उववाएयव्वो। एव एएण कमेण जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अतरा समोहए, समोहणित्ता जाव ईसीपब्भाराए उववाएयव्वो बाउक्काइयत्ताए । १. भ. १७१६७,६८।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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