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________________ अट्ठारसम सत ( पचमो उद्देसो) ७६६ गोयमा । असुरकुमारा देवा दुविहा पण्णत्ता, त जहा - वेउव्वियसरीरा य, अवेउव्वियसरीरा य । तत्थ ण जे से वेडव्वियसरीरे असुरकुमारे देवे से णं पासादीए जाव पडिरूवे । तत्थ ण जे से प्रवेउव्वियसरीरे असुरकुमारे देवे से णं नो पासादीए जाव नो पडिवे ॥ ६८. सेकेणद्वेण भते । एव वच्चइ – तत्थ ण जे से वेउव्वियसरीरे त चेव जाव नो पडवे ? गोयमा । से जहानामए - इह मणुयलोगसि दुवे पुरिसा भवति - एगे पुरिसे अल कियविभूसिए, एगे पुरिसे प्रणल कियविभूसिए । एएसि ण गोयमा । दीहं पुरिसाण करे पुरिसे पासादीए जाव पडिरूवे, कयरे पुरिसे नो पासादीए जाव नो पडिरूवे । जे वा से पुरिसे अलकियविभूसिए, जे वा से पुरिसे प्रणल कियविभूसिए ? भगव । तत्थ ण जे से पुरिसे अलकियविभूसिए से ण पुरिसे पासादीए जाव पडिरूवे । तत्थ ण जे से पुरिसे प्रणल कियविभूसिए से ण पुरिसे नो पासादीए जो डिवे । से तेणद्वेण जाव नो पडिरूवे || । 1 ० ? ६६ दो भते । नागकुमारा देवा एगसि नागकुमारावाससि एव चेव जाव थणियकुमारा । वाणमतर जोतिसिय- वेमाणिया एव चेव' । नेरइयादीणं महाकम्मादि-पदं १०० दोभते ! नेरइया एगसि नेरइयावाससि नेरइयत्ताए उववन्ना । तत्थ ण गे नेरइए महाकम्मतराए चेव', 'महाकिरियतराए चेव, महासवतराए चेव ", महावेयणतराए चेव, एगे नेरइए अप्पकम्मतराए चेव', अप्प किरियतराए चेव, अप्पासवतराए चेव °, ग्रप्पवेयणता चेव, से कहमेय भंते । एव ? गोयमा ! नेरइया दुविहा पण्णत्ता, त जहा - मायिमिच्छदिट्टिउववन्नगा' य, प्रमायिसम्मदिट्टिउववन्नगा य । तत्थ ण जे से मायिमिच्छदिट्टिउववन्नए नेरइए से ण महाकम्मतराए चेव जाव महावेयणतराए चेव । तत्थ ण जे से प्रमायिसम्मदिट्टिउववन्नए नेरइए से ण अप्पकम्मतराए चेव जाव अप्पवेयणतराए चेव ॥ १०१ दोभते । असुरकुमारा ? एव चेव । एव एगिदिय - विगलिदियवज्ज जाव वेमाणिया || नेरइयादीणं प्राउय-पदं १०२. नेरइए ण भते । प्रणतर उब्वट्टित्ता जे भविए पचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्त, सेण भते । कयर प्राउय पडिसवेदेति ? ३ मादिमिच्छ° (व) | १. स० पा० - चेव जाव महावेयरण • । २. स० पा० - चैव जाव अप्पवेयण' ० ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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