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________________ ७४२ भगवई २०. एयंसि' णं भंते ! धम्मंसि वा, अधम्मसि वा, धम्माधम्मसि वा चक्किया केइ आसइत्तए वा', 'सइतए वा, चिट्ठइत्तए वा, निसीइत्तए वा° तुयट्टित्तए वा ? गोयमा | नो इणढे समढे ॥ २१. से केण खाइ अटेण भते । एवं वुच्चइ जाव सजतासंजते धम्माधम्मे ठिते ? गोयमा | संजत-विरत'- पडिहत-पच्चक्खाता पावकम्मे धम्मे ठिते, धम्म चेव उवसपज्जित्ताण विहरति । अस्सजत- अविरत-अपडिहत-अपच्चक्खात - पावकम्मे अधम्मे ठिते, अधम्म चेव उवसपज्जित्ताणं विहरति । सजतासंजते धम्माधम्मे ठिते, धम्माधम्म उवसंपज्जित्ताणं विहरति । से तेणटेण जाव धम्माधम्मे ठिते ॥ २२. जीवाणं भते । कि धम्मे ठिता ? अधम्मे ठिता? धम्माधम्मे ठिता ? - गोयमा । जीवा धम्मे वि ठिता, अधम्मे वि ठिता, धम्माधम्मे वि ठिता॥ नेराइयाण-पुच्छा। गोयमा | नेरइया नो धम्मे ठिता, अधम्मे ठिता, नो धम्माधम्मे ठिता । एवं जाव चउरिदियाण ॥ २४ पंचिदियतिरिक्खजोणियाण-पुच्छा। गोयमा ! पचिदियतिरिक्खजोणिया नो धम्मे ठिता, अधम्मे ठिता, धम्माधम्मे वि ठिता। मणुस्सा जहा जीवा । वाणमतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा नेरइया ।। बालपंडिय-पदं २५. अण्णउत्थिया ण भते ! एवमाइक्खति जाव परूवेति-एव खलु समणा पडिया, समणोवासया बालपडिया, जस्स ण एगपाणाए वि दडे अणिक्खित्ते से णं एगतबाले त्ति वत्तव्वं सिया ॥ २६. से कहमेयं भते ! एव ? गोयमा ! जण्णं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खंति जाव एगंतबाले त्ति वत्तव्वं सिया, जे ते एवमाहसु मिच्छ ते एवमाहसु । अह पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि-एव खलु समणा पडिया, समणोवासगा बालपडिया, जस्स ण एगपाणाए वि दडे निक्खित्ते से ण नो एगतबाले त्ति वत्तव्वं सिया ॥ - २७. जीवा ण भते ! किं वाला ? पडिया ? बालपडिया? • गोयमा ! वाला वि, पडिया वि, बालपडिया वि ॥ २८. नेरइयाणं-पुच्छा ।। गोयमा ! नेरइया वाला, नो पंडिया, नो बालपडिया । एव जाव चउरिदिया। १. एतेसिं (अ, क, व, म, स), अत्र षष्ठीवहु- वचनान्त पद शुद्ध न प्रतिभाति । - २. स० पा०-आसइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए । ३ स० पा०-विरत जाव पावकम्मे । ४. सं० पा०-अस्सजत जाव पावकम्मे ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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