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________________ सोलसम सत (पढमो उद्देसो) अगणिकाय-पदं ५ इगालकारियाए ण भते | अगणिकाए केवतिय काल सचिट्ठइ ? गोयमा ! जहण्णेण अतोमुहत्त, उक्कोसेण तिण्णि राइदियाइ । अण्णे वि तत्थ वाउयाए वक्कमति, न विणा वाउयाएण अगणिकाए उज्जलति ।। कति किरिय-पदं पुरिसे ण भते । अय अयकोटसि अयोमएण सडासएण उविहमाणे वा पन्विहमाणे वा कतिकिरिए ? गोयमा | जावं च ण से पुरिसे अय अयकोट्ठसि अयोमएण सडासएण उविहति वा पव्विहति वा, ताव च ण से पुरिसे काइयाए जाव' पाणाइवायकिरियाएपचहि किरियाहि पुढे, जेसि पि ण जीवाण सरीरेहितो अए निव्वत्तिए, अयकोटे निव्वत्तिए, सडासए निव्वत्तिए, इगाला निव्वत्तिया, इगालकड्ढणी निव्वत्तिया, भत्था निव्वत्तिया, ते वि ण जीवा काइयाए जाव पाणाइवायकिरियाए-पचहि किरियाहि पुट्ठा ॥ पुरिसे ण भते । अय अयकोट्टायो अयोमएण सडासएण गहाय अहिकरणिसि उक्खिव्वमाणे वा निक्खिव्वमाणे वा कतिकिरिए ? गोयमा | जाव च ण से पुरिसे अय अयकोट्ठायो' 'अयोमएण सडासएण गहाय अहिकरणिसि उक्खिवइ वा निक्खिवइ वा ताव च ण से पुरिसे काइयाए जाव पाणाइवायकिरियाए- पचहिं किरियाहिं पुढे, जेसि पि ण जीवाण सरीरेहितो अयो निव्वत्तिए, सडासए निव्वत्तिए, चम्मेढे निव्वत्तिए, मुट्टिए निव्वत्तिए, अधिकरणी निव्वत्तिया, अधिकरणिखोडी निव्वत्तिया, उदगदोणी निव्वत्तिया, अधिकरणसाला निव्वत्तिया, ते वि ण जीवा काइयाए जाव पाणाइवायकिरियाए-पचहिं किरियाहिं पुट्ठा ।। अधिकरणी-अधिकरण-पदं जीवे ण भते । किं अधिकरणी ? अधिकरण ? गोयमा | जीवे अधिकरणी वि, अधिकरण पि । ६ से केणद्वेण भते ! एव वुच्चइ-जीवे अधिकरणी वि, अधिकरण पि? १. भ० ११३६५। २. स० पा०-अयकोटाओ जाव निक्खिवइ ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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