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________________ पन्नरसम सत ६६१ वुग्गाहेमाणे वुप्पाएमाणे विहरित्ता सएण तेएणं अण्णाइट्ठे समाणे अतो सत्तरत्तस्स पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कतीए छउमत्थे चेव काल करेस्स । समणे भगव महावीरे जिणे जिणप्पलावी', अरहा अरहप्पलावी, केवली केवलिप्पलावी, सव्वण्णू सव्वण्णुप्पलावी, जिणे° जिणसद्द पगासेमाणे विहरइ-एव सपेहेति, सपेहेत्ता आजीविए थेरे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता उच्चावय-सवह-सावियए पकरेति, पकरेत्ता एव वयासी-नो खलु अह जिणे जिणप्पलावी जाव पगासेमाणे विहरिए । अहण्ण गोसाले चेव मखलिपुत्ते समणघायए' °समणमारए समणपडिणीए आयरिय-उवज्झायाण अयसकारए अवण्णकारए अकित्तिकारए बहूहि असन्भावुव्भावणाहि मिच्छत्ताभिनिवेसेहि य अप्पाण वा पर वा तदुभय वा बुग्गाहेमाणे वुप्पाएमाणे विहरित्ता सएण तेएण अण्णाइट्ठे समाणे अतो सत्तरत्तस्स पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कतीए ° छउमत्थे चेव काल करेस्स । समणे भगव महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव जिणसद्द पगासेमाणे विहरइ, त तुम्भ ण देवाणुप्पिया | मम कालगय जाणित्ता वामे पाए सुबेण बधेह, बधेत्ता तिक्खुत्तो मुहे उट्ठभेह', उट्ठभेत्ता सावत्थीए नगरीए सिघाडग'- तिग-चउक्कचच्चर-चउम्मुह-महापह°-पहेसु प्राकट्ट-विकट्टि करेमाणा महया-महगा सद्देण उग्घोसेमाणा-उग्घोसेमाणा एव वदह-नो खलु देवाणुप्पिया | गोसाले मखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव विहरिए। एस ण गोसाले चेव मखलिपुत्ते समणघायए जाव छउमत्थे चेव कालगए। समणे भगव महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव विहरइ । महया अणिड्ढी-असक्कारसमुदएण मम सरीरगस्स नीहरण करेज्जाह--एव वदित्ता कालगए॥ गोसालस्स नीहरण-पदं १४२ तए ण आजीविया थेरा गोसाल मखलिपुत्त कालगय जाणित्ता हालाहलाए कुभकारीए कुभकारावणस्स दुवाराइ पिहेति, पिहेत्ता हालाहलाए कुभकारीए कुभकारावणस्स वहुमज्झदेसभाए सावत्थि नगरि प्रालिहति, आलिहित्ता गोसालस्स मखलिपुत्तस्स सरीरग वामे पदे सुबेण वधति, बधित्ता तिक्खत्तो महे उठ्ठभति, उट्ठभित्ता सावत्थीए नगरीए सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह ° -पहेसु प्राकट्ट-विकट्टि करेमाणा णीय-णीय सद्देण उग्घोसेमाणा १. स० पा० --जिणप्पलावी जाव जिणसद्द । २ उच्चाविय (अ, म)। ३ स० पा०—समणघायए जाव छउमत्थे । ४ वधहा (अ, व), बघह (ख, म, स), बघेहा (ता)। ५ उट्ठभह (अ, ख, ब, स); उहुभस्स(ता), उच्छुभह (वृपा) ६ स० पा०—सिंघाडग जाव पहेस । ७ स० पा०—सिंघाडग जाव पहेसु ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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