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________________ ६७८ भगव एएण गगापमाणेणं सन्त गगायां सा एगा महागगा । मन महागगाथ। नाएगा सादीणगगा । रात्तसादीणगगाओ सा एगा मदुगगा' | गन मदुगगाओ सा एगा लोहियगगा । सत्त लोहियगगाओ सा एगा श्रावतीगंगा' । सत्त श्रावतीगंगाओ सा एगा परमावती । एवामेव सपुव्वावरेण एग गंगानयसहम्स उत्तर सहस्सा छच्च गुणपन्न' गगासया भवतीति मक्वाया । तासि दुविहे उद्धारे पण्णत्ते, त जहा मुदुमवोदिकलेवरे नेव, वायवोदिकलेवरे चैव । तत्थ ण जे मे मुहमवादिकलेवरे से ठप्पे । तत्य ण जे से वायरबोदिकलेवरे तत्रो ण वाससए गए, वाससए गए एगमेग गंगावालुयं श्रवहाय जातिएण काले से कोट्ठे खीणे णीरए निलेवे निट्टिए भवति सेत्तं सरे सरप्पमाणे । एएण सरप्पमाणेण तिष्णि सरस्वसाहस्मीयो से एगे महाकप्पे, चउरासीतिं महाकप्पसयमहस्साइ से एगे महामाणसे । १ प्रणताओ सजूहाम्रो जीवे चय चत्ता उवरिले माणसे नजू हे देवे उववज्जति । सेण तत्थ' दिव्वाइ भोग भोगाइ भुजमाणे विहरण, विहरिता ताश्रो देवलोगाओ ग्राउक्खएण भवक्खएण ठिक्खएण ग्रणतर चय चइत्ता पढमे सण्णगभे जीवे पच्चायाति । २ सेण तहिंतो प्रणतर उव्वट्टित्ता मज्भिल्ले माणसे सजू हे देवे उववज्जइ । सेण तत्थ दिव्वाइ भोगभोगाइ भुजमाणे विहरड, विहरित्ता ताम्रो देवलोगाश्रो ग्राउक्खएण' 'भवक्खएण ठिइक्खएण श्रणतर चय • चइत्ता दोच्चे सण्णगन्भे जीवे पच्चायाति । ३. से ण तोहितो ग्रणतर उव्वट्टित्ता हेट्ठिल्ले माणसे सजू हे देवे उववज्जइ । सेण तत्थ दिव्वाइ भोगभोगाइ जाव चइत्ता तच्चे सण्णिगन्भे जीवे पच्चायाति । ४ से ण तनोहितो जाव उव्वट्टित्ता उवरिल्ले माणुसुत्तरे सजू हे देवे उववज्जइ । से तत्थ दिव्वाइ भोगभोगाइ जाव चइत्ता चउत्थे सण्णिगव्भे जीवे पच्चायाति । ५ से ण तोहितो प्रणतर उन्वट्टित्ता मज्भिल्ले माणुसुत्तरे सजूहे देवे उववज्जइ । से ण तत्थ दिव्वाइ भोगभोगाइ जाव चइत्ता पचमे सण्णिगन्भे जीवे पचायाति । ६ से ण तोहितो अणतरं उब्वट्टित्ता हिट्ठिल्ले माणुसुत्तरे सजूहे देवे उववज्जइ । से ण तत्थ दिव्वाइ भोगभोगाइ जाव चइत्ता छुट्टे सण्णिगव्भे जीवे पन्चायति । १. महुगगा ( ब ) ; मदुगगा (म), मच्चुगगा ( क्व० ) । ४. तत्था (ता) । २. अवतीगंगा (क, ख, ब, म) । ३. गुणपण्ण (अ.स), अगुणपण्णा (ता) | ५. स० पा०-आउक्खएण जाव चइत्ता ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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