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________________ तेरसम सत चउत्यो उद्देसो) ५६६ नरयाणं बाहल्ल-खुड्डत्त-पद ४५ इमा ण भते । रयणप्पभापुढवी दोच्च सक्करप्पभ पुढवि पणिहाय सव्वमह तिया बाहल्लेण, सव्वखुड्डिया सव्वतेसु ? "हता गोयमा | इमा ण रयणप्पभापुढवी दोच्च पुढवि पणिहाय जाव सव्वखुड्डिया सव्वतेसु। दोच्चा ण भते | पुढवी तच्च पुढवि पणिहाय सव्वमहतिया बाहल्लेण-पुच्छा। हता गोयमा | दोच्चा ण पुढवी जाव सव्वखुड्डिया सव्वतेसु । एव एएण अभिलावेण जाव छट्ठिया पुढवी अहेसत्तम पुढवि पणिहाय जाव सव्वखुड्डिया सव्वतेसु ॥ निरयपरिसामत-पदं ४६ इमीसे ण भते | रयणप्पभाए पुढवीए निरयपरिसामतेसु जे पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया तेण जीवा महाकम्मतरा चेव, महाकिरियतरा चेव, महासवतरा चैव, महावेदणतरा चेव ? हता गोयमा । इमीसे ण रयणप्पभाए पुढवीए निरयपरिसामतेसु त चेव जाव महावेदणतरा चेव । एव ° जाव अहेसत्तमा ।। लोगमज्झ-पदं ४७ कहि ण भते । लोगस्स आयाममज्झे पण्णत्ते ? गोयमा | इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अोवासतरस्स असखेज्जइभाग ओगाहेत्ता, एत्थ ण लोगस्स आयाममज्झे पण्णत्ते ।। ४८ कहि ण भते । अहेलोगस्स आयाममज्झे पण्णत्ते ? गोयमा । चउत्थीए पकप्पभाए पुढवीए अोवासतरस्स सातिरेग अद्धं प्रोगाहेत्ता, एत्थ ण अहेलोगस्स आयाममझे पण्णत्ते ॥ कहि ण भते । उड्ढलोगस्स आयाममझे पण्णत्ते ? । गोयमा । उप्पि सणकुमार-माहिदाण कप्पाण हे४ि बभलोए कप्पे रिट्रविमाणे पत्थडे, एत्थ ण उड्ढलोगस्स आयाममझे पण्णत्ते ।। ५० कहि ण भते । तिरियलोगस्स आयाममझे पण्णत्ते ? गोयमा । जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स बहुमज्झदेसभाए इमीसे रयणप्पभाए १ स० पा०-एव जहा जीवाभिगमे वितिए ३. स० पा०-एव जहा नेरइयउद्देसए जाय । नेरइयउद्देसए। ४ हत्थि (क); हन्दि (ख, ता); हिडिं (ब), २. निरयापरिसमतेसु (ता)। हट्टि (म)।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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