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________________ ૪૬ ६२ भगवई o चित्ता पम्हलसुकुमालाए सुरभीए गधकासाईए गायाइं लूहेति, लूहेत्ता सरसेण गोसीसचदणेण गाया ग्रणुलिपति एव जहेव जमालिस्स ग्रलकारो तहेव जाव' कप्परुक्खग पिव अल किय-विभूसिय करेइ, करेत्ता करयल परिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए अजल • कट्टु सिवभद्द कुमार जएण विजएण वद्धावेइ, वृद्धावेत्ता ताहि इट्टाहि कताहि पियाहि मणुष्णाहि मणामाहि मणाभिरामाहि हिययगमणिज्जाहिं वग्गूहिं जय विजयमगलस एहि ग्रणवरय ग्रभिणदतो य अभित्थुणतो य एव वयासी - जय जय नदा 1 जय-जय भद्दा भद्द ते, ग्रजिय जिणाहि जिय पालयाहि, जियमज्भे वसाहि । इदो इव देवाण, चमरो इव प्रसुराण, धरणो इव नागाण, चदो इव ताराण, भरहो इव मणुयाण वहूइ वासाइ बहूइ वाससयाइ बहूइ वाससहस्साइ बहूइ वाससयसहस्साइ अणहसमग्गो हट्ठतुट्ठो° परमाउ पालयाहि, इट्ठजणसपरिवुडे हत्थिणा पुरस्स नगरस्स, अण्णेसिं च बहूण गामागर - नगर - खेड - कव्वड- दोणमुह-मडव-पट्टण-ग्रासमनिगम-सवाह-सण्णिवेसाण ग्राहेवच्च पोरेवच्च सामित्त भट्टित्त महत्तरगत्त ग्राणा-ईसर-सेणावच्च कारेमाणे पालेमाणे महयाहय - नट्ट - गीय- वाइय-तती- तलताल-तुडिय-घण-मुइग पडुप्पवाइय रवेण विउलाइ भोगभोगाइ भुजमाणे • विहराहि ति कट्टु जयजयसद्द पउजति ॥ तण से विभद्दे कुमारे राया जाते - महया हिमवत - महत - मलय-मदर-महिदसारे, वण्ण जाव' रज्ज पसासेमाणे विहरइ ॥ ६३ तए ण से सिवे राया अण्णया कयाइ सोभणसि तिहि करण - दिवस मुहुत्त - नक्खत्तसि विपुल असण-पाण -खाइम साइम उवक्खडावेति, उवक्खडावेत्ता मित्तनाइ - नियग- सयण-सबधि - परिजण 'रायाणो य खत्तिए य" ग्रामतेति, ग्रामतेत्ता तस्रो पच्छा ण्हाए “ कयबलिकम्मे कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाइ मगल्लाइ वत्थाइ पवर परिहिए अप्पमहग्घाभरणालकिय • सरीरे भोयणवेलाए' भोयणमडवसि सुहासणवरगए तेण मित्त-नाइ - नियग-सयण-सबधि" - परिजणेण राहिय खत्तिएहि सद्धि विपुल असण- पाण- खाइम साइम ११० ● आसादेमाणे वीसादेमाणे परिभाएमाणे परिभुजेमाणे विहरइ । o ७ १ भ० १६० । २ स० पा० - करयल जाव कट्टु | ३. स० प्रा० - जहा ओववाइए कूणियस्स जाव परमाउ । ४. स० पा० - नगर जाव विहराहि । ५. ओ० सू० १४ | ६ स० पा० - नियग जाव परिजण । रायाणो य खत्तिया ( अ, क, म, स), रायाणो रायखत्तिय (ता, ब) 1 ८ स० पा०-हाए जाव सरीरे । C. X (ता, व ) । १०. जाव (अ, क, ता, व, म, स ) 1 ११ स० पी० एव जहा तामली जान सक्कारेइ
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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