SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 530
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दसम सत ( तइओ उद्देसो) कट्टु से ण तस्स ठाणस्स प्रणालीइयपडिक्कते काल करेइ नत्थि तस्स प्राराहणा, से ण तस्स ठाणस्स झालोइय-पडिक्कते काल करेइ प्रत्थि तस्स २२ सेव भते । सेवं भते । त्ति' ।। राहणा । तइओ उद्देसो प्राइड्ढी परिड्ढी वोइवयण-पदं २३ रायगिहे जाव' एव वयासी - ग्राइड्ढीए' ण भते । देवे जाव चत्तारि, पच देवावासंतराइ वीतिक्कते", तेण पर परिड्ढीए ? देवri वियविहि-पदं २४ अप्पड्ढी ण भते । देवे महिड्ढियस्स देवस्स मज्झमज्भेण वीइवएज्जा ? नो इट्टे समट्ठे ॥ २५ समिड्ढी ण भते । देवे समिड्ढीयस्स देवस्स मज्झमज्भेण वीइवएज्जा ? नो इट्टे समट्टे, पमत्त पुण वीइवएज्जा | २६ से भते । किं विमोहित्ता पभू ? अविमोहित्ता पभू ? I हता गोयमा ! आइड्ढीए ण " देवे जाव चत्तारि, पच देवावासतराइ वीतिक्कते, तेण पर परिड्ढीए । एव असुरकुमारे वि, नवर - असुरकुमारावास - तराइ, सेस त चेव । एव एएण कमेण जाव थणियकुमारे, एव वाणमतरे, इस मणि जाव तेण पर परिड्ढीए || ४७१ गोयमा । विमोहित्ता पभू, नो अविमोहित्ता पभू ॥ २७. से भते । किं पुव्वि विमोहित्ता पच्छा वीइवएज्जा ? पुव्वि वीइवइत्ता पच्छा विमोहेज्जा ? गोयमा । पुव्वि विमोहित्ता पच्छा वीइवएज्जा, नो पुव्वि वीइवइत्ता पच्छा विमोहेज्जा ॥ १ भ० १।५१ । २ भ० ११४ - १०1 ३ आत ढिए ( अ, स), आतिड्ढीए (क, ब, म), आयड्ढीए (ता) ४ बीईवयइ (वृपा ) । ५ स० पा०त चेव । ६ सेण (व, म, स ) |
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy