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________________ दसमं सत (बीओ उद्देसो) ४६९ ! गोयमा । सवुडस्सं ण अणगारस्स वीयीपथे ठिच्चा' पुरनो रुवाइ निज्झायमाणस्स, मग्गओ रुवाइ अवयक्खमाणस्स, पासप्रो रुवाइ अवलोएमाणस्स, उड्ढ रूवाइ ओलोएमाणस्स अहे रुवाइ आालोएमाणस्स तस्स ण नो इरिया O या किरिया कज्जइ, सपराइया किरिया कज्जइ ॥ १२ सेकेणट्टेण भते । एव बुच्चइ - सवुडस्स ण जाव सपराइया किरिया कज्जइ ? गोयमा । जस्स ण कोह- माण- माया लोभा वोच्छिण्णा भवति तस्स इरियावहिया किरिया कज्जइ, जस्स ण कोह - माण - माया लोभा वोच्छिण्णा भवति तस्स ण सपराइया किरिया कज्जइ । ग्रहासुत्त रीयमाणस्स इरियावहिया किरिया कज्जइ, उस्सुत्त रीयमाणस्स सपराइया किरिया कज्जइ । सेण उत्तमेव यति । तेणद्वेण जाव सपराइया किरिया कज्जइ ॥ १३. सवुडस्स ण भतें । अणगारस्स अवीयीपथे ठिच्चा पुरस्रो रुवाइ निज्झायमाणस्स जाव' तस्स ण भते । कि इरियावहिया किरिया कज्जइ ? – पुच्छा । गोयमा । सवुडस्स ण अणगारस्स अवीयीपथे ठिच्चा जाव तस्स ण इरियाहिया किरिया कज्जइ, नो सपराइया किरिया कज्जइ ॥ १४ से केणट्टेण भते ! एव वच्चइ - सवुडस्स ण जाव इरियावहिया किरिया कज्जइ, नो सपराइया किरिया कज्जइ ? गोमा । जस्स ण कोह - माण- माया लोभा वोच्छिण्णा भवति तस्स ण इरियावहिया किरिया कज्जइ, जस्स ण कोह- माण - माया लोभा वोच्छिण्णा भवति तस्स ण सपराइया किरिया कज्जइ । ग्रहासुत्त रीयमाणस्स इरियावहिया किरिया कज्जइ, उस्सुत्त रीयमाणस्स सपराइया किरिया कज्जइ |° सेण अहासुत्तमेव रीयति । से तेणट्टेण जाव नो सपराइया किरिया कज्जइ ॥ जोणी- पर्द १५. कतिविहा णं भते ! जोणी पण्णत्ता ? गोमा । तिविहा जोणी पण्णत्ता, त जहा -सीया, उसिणा, सीतोसिणा । एवं जोणीपद निरवसेसं भाणियव्व' || वेदणा-पदं १६. कतिविहा ण भते ! वेयणा पण्णत्ता ? १. स० पा०ठिच्चा जाव तस्स । २. स० पा० - एव जहा सत्तमसए पढमउद्देसए जाव से । ३. भ० १० ११ । स० पा०-- जहा सत्तमसए सत्तमुद्देस जाव से । ५ प० ६ । ४
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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