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________________ ४२४ भगवई गगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जीव अहेसत्तमाए वा होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए असंखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा, एवं दुयासजोगो जाव सत्तगसजोगो य जहा सखेज्जाण भणियो तहा असखेज्जाण वि भाणियन्वो, नवर-असखेज्जओ अभहिरो भाणियव्वो, सेस तं चेव जाव सत्तगसजोगस्स पच्छिमो पालावगो अहवा असखेज्जा रयणप्पभाए असखेज्जा सक्करप्पभाए जाव असखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। उक्कोसेण भते । नेरइया नेरइयप्पवेसणएण पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा ? -पुच्छा। गगेया | सव्वे वि ताव रयणप्पभाए होज्जा, अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए य वालुयप्पभाए य होज्जा जाव अहवा रयणप्पभाए य आहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए य वालुयप्पभाए य होज्जा, एव जाव अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए य अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए वालुयप्पभाए पकप्पभाए य होज्जा जाव अहवा रयणप्पभाए वालुयप्पभाए अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए पकप्पभाए धूमाए होज्जा, एव रयणप्पभ अमुयतेसु जहा तिण्ह तियासजोगो भणियो तहा भाणियव्व जाव' अहवा रयणप्पभाए तमाए य अहेसत्तमाए य होज्जा। अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए पकप्पभाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए धूमप्पभाए य होज्जा जाव अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए पकप्पभाए धूमप्पभाए य होज्जा एव रयणप्पभ अमुयतेसु जहा चउण्ह चउक्कगसजोगो भणितो तहा भाणियव्व जाव अहवा रयणप्पभाए धूमप्पभाए तमाए अहेसत्तमाए य होज्जा। अहवा रयणप्पभाए सवकरप्पभाए वालुयप्पभाए पकप्पभाए धूमप्पभाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए जाव पकप्पभाए तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए जाव पकप्पभाए अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए धूमप्पभाए तमाए य होज्जा, एव रयणप्पभ अमुयतेसु जहा पचण्ह पचगसजोगो तहा भाणियव्व जाव अहवा रयणप्पभाए पकप्पभाए जाव अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए जाव धूमप्पभाए तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए जाव धूमप्पभाए अहेसत्तमाए य होज्जा अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए जाव' पकप्पभाए तमाए य अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए घूमप्पभाए तमाए अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए पकप्पभाए जाव १. सत्ता°, (अ ता, व)।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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