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________________ अट्ठमं सत (अट्ठमो उद्देसो) गहणागरिसं पडुच्च अत्थेगतिए बधी वधइ बधिस्सइ, एव जाव' अत्थेगतिए न वधी वधइ बधिस्सइ, नो चेव ण न बधी बधइ न बधिस्सइ, अत्थेगतिए न वधी न बधइ वधिस्सइ, अत्थेगतिए न वधी न बधइ न वधिस्सइ ॥ ३०७. त भते । किं सादीय सपज्जवसिय बधइ ? सादीय अपज्जवसिय बधइ ? अणादीय सपज्जवसिय वधइ ? अणादीय अपज्जवसिय बधइ ? गोयमा | सादीय सपज्जवसिय वधइ, नो सादीय अपज्जवसिय बधइ, नो अणादीय सपज्जवसिय वधइ, नो अणादीय अपज्जवसिय वधइ । ३०८ त भते ! कि देसेण देस वघइ ? देसेण सव्व बधइ ? सव्वेण देस बधइ ? सव्वेण सव्व बधइ ? गोयमा | नो देसेण देस बधइ, नो देसेण सव्व बधइ,नो सव्वेण देस बधइ, सव्वेण सव्व वधइ ॥ संपराइयबंध-पदं ३०६ सपराइय णं भते । कम्म कि नेरइओ बधइ ? तिरिक्खजोणिो बधइ ? जाव' देवी बधइ ? गोयमा । नेरइनो वि वधइ, तिरिक्खजोणिो वि बधइ, तिरिक्खजोणिणी वि बधइ, मगुस्सो वि बधइ, मणुस्सो वि वधइ, देवो वि बधइ, देवी वि बधइ ।। ३१० त भते । किं इत्थी बधइ ? पुरिसो बधइ ? तहेव जाव' नोइत्थी नोपुरिसो नोनपु सगो वधइ? गोयमा । इत्थी वि बधइ, पुरिसो वि बधइ जाव नपुसगा वि बधति, 'अहवा एते" य अवगयवेदो य वधइ, अहवा एते य अवगयवेदा य बधति ।। १५. अहवा पुरिसपच्छाकडो य नपुसगपच्छा- इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडा य नपुकडो य वधइ १६ अहवा पुरिसपच्छाकडो सगपच्छाकडा य वधति २३ अहवा इत्थीय नपुसगपच्छाकडा य वधति १७ अहवा पच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडो य नपुसगपुरिसपच्छाकडा य नपुसगपच्छाकडो य वधइ पच्छाकडो य वधइ २४ अहवा इत्थीपच्छा१८. अहवा पुरिसपच्छाकडा य नपुसगपच्छा- कडा य पुरिसपच्छाकडो य नपुसगपच्छाकहा कडा य वधति १६ अहवा इत्थीपच्छाकडो य वधति २५ अहवा इत्थीपच्छाकडा य पुरिय पुरिसपच्छाकडो य नपुसगपच्छाकडो य सपच्छाकडा य नपुसगपच्छाकडो य वघइ । वघइ २० अहवा इत्थीपच्छाकडो य पुरिस- १. अत्र जाव-पदेन यो भङ्गा गृहीता । पच्छाकडो य नपुसगपच्छाकडा य बधति २१ २ भ० ६।३०३ । अहवा इत्थीपच्छाकडो या पुरिसपच्छाकडा य ३. भ० ६।३०४ । नपुसगपच्छाकडो य वधइ २२ अहवा ४. अहवेए (अ, ब, स), अहवेते (ता, म)।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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