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________________ ३०० भगवई नवमो उद्देसो असंवुड-अणगारस्स विउव्वणा-पद १६७ असवुडे ण भते । अणगारे वाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगवण्ण एगरूव विउवित्तए? णो इणढे समढें ॥ १६८. असवुडे ण भते । अणगारे वाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू एगवण्ण एगरूव' •विउव्वित्तए ? हता पभू॥ १६६. से ण भते । कि इहगए पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ ? तत्थगए पोग्गले परि याइत्ता विकुव्वइ ? अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुब्वइ ? . गोयमा | इहगए पोग्गले परियाइत्ता विकुव्व इ, नो तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुन्वइ, नो अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ । एव २ एगवण्ण अणेगरूव' ३ 'अणेगवण्ण एगरूव ४ अणेगवण्णं अणेगरूव चउभगो॥ १७० असवुडे ण भते । अणगारे वाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू कालग पोग्गलं नीलगपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ? नीलग पोग्गल वा कालगपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ? गोयमा | नो इणढे समढें । परियाइत्ता पभू जाव१७१. असवुडे ण भते | अणगारे वाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू निद्धपोग्गल लुक्खपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ? लुक्खपोग्गल वा निद्धपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए? गोयमा | नो इणद्वे समठू । परियाइत्ता पभू ॥ १७२ से ण भते कि इहगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति ? तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति ? अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति ? गोयमा | इहगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति, नो तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति, नो अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति ॥ १. स० पा०-एगरूव जाव हता। २. म० पा०-पोग्गले जाव विकुव्वइ । ३. म० पा०-चउभगो जहा छट्ठमए नवमे उनए तहा इह वि भाणियव्व, नवर अणगारे इहगय च इहगते चेव पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ, सेस त चेव जाव लुक्खपोग्गल निद्धपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए। हता पभू । से भते ! कि इहगए पोग्गले परियाइत्ता जाव नो अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकूव्वइ । ४. भ० ६.१६३-१६७ ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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