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________________ भगवई १७८ २६५. सक्कस्स ण देविंदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारण्णो देसूणाइ दो पलिअोवमाई ठिई पण्णत्ता । अहावच्चाभिण्णायाण देवाण एग पलिओवम ठिई पण्णत्ता। __एमहिड्ढीए जाव' महाणुभागे वरुणे महाराया ॥ वेसमण-पदं २६६. कहि ण भते ! सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण्णो वग्गू नाम महाविमाणे पण्णत्ते ? गोयमा ! तस्स ण सोहम्मवडेसयस्स महाविमाणस्स उत्तरे ण जहा सोमस्स विमाण-रायहाणि-वत्तव्वया तहा नेयव्वा जाव' पासादवडेसया ॥ २६७ सक्कस्स ण देविदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण्णो इमे देवा आणा-उववाय वयण-निद्देसे चिट्ठति, त जहा-वेसमणकाइया इ वा, वेसमणदेवयकाइया इ वा, सुवण्णकुमारा, सुवण्णकुमारीओ, 'दीवकुमारा, दीवकुमारीओ, दिसाकुमारा, दिसाकुमारीओ, वाणमतरा, वाणमतरीमो-जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते तब्भत्तिया 'तप्पक्खिया तब्भारिया सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण्णो आणा-उववाय-वयण-निद्देसे ° चिट्ठति ।। २६८. जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स. दाहिणे ण जाइ इमाइ समुप्पजति, त जहा प्रयागरा इ वा, तउयागरा इ वा, तबागरा इ वा, 'सीसागरा इ वा, हिरण्णागरा इ वा सुवण्णागरा इ वा, रयणागरा इ वा, वइरागरा इ वा, वसुहारा इ वा, हिरण्णवासा इ वा, सुवण्णवासा इवा, रयणवासा इ वा, वइरवासा इ वा, आभरणवासा इ वा, पत्तवासा इ वा, पुप्फवासा इ वा, फलवासा इ वा, वीयवासा इ वा, मल्लवासा इ वा, वण्णवासा इ वा, चुण्णवासा इ वा, गधवासा इ वा, वत्थवासा इ वा, हिरण्णवुट्ठी इ वा, सुवण्णवुट्ठी इ वा, रयणवुट्ठी इ वा, वडरवुट्ठी इ वा, आभरणवुट्ठी इ वा, पत्तवुट्ठी इ वा, पुप्फवुट्ठी इ वा, फलवुट्ठी इ वा, वीयवुट्ठी इ वा, मल्लवुट्ठी इ वा, वण्णवुट्ठी इ वा, चुण्णवुट्ठी इवा, गधवुट्ठी इ वा, वत्थवुट्ठी इ वा, भायणवुट्ठी इ वा, खीरवुट्ठी इ वा, सुकाला इ वा, दुक्काला इ वा, अप्पग्घा इ वा, महग्घा इ वा, सुभिक्खा इवा, दुब्भिक्खा इवा, कयविक्कया इ वा, सण्णिही इ वा, सण्णिचया इ वा, निही इवा, निहाणाइ वा-चिरपोराणाइ वा, पहीणसामियाइ वा, पहीणसेतुयाइ वा, पहीणमग्गाइ वा, पहीणगोत्तागाराइ वा, उच्छण्णसामियाइ वा, उच्छण्णसेतुयाइ वा, (उच्छण्णमग्गा इ वा?) उच्छणगोत्तागारा इ वा, सिंघाडग-तिग-चउक्क१. भ० ३।४। ५. एव सिसाग हिरण्ण ° (ता)। २. भ० ३१२५०, २५१ ।। ६ सुयाला (ता)। ३. ४ (क, ता, म)। ७ x (क, ता, ब, म)। ४. स० पा०-तभत्तिया जाव चिट्ठति ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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