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________________ तइय सत (पढमो उद्दे सो) १२५ ११ सेवं भते । सेव भते । त्ति तच्चे गोयमे वायुभूई अणगारे समण भगव महावीर , वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता जेणेव दोच्चे गोयमे अग्गिभूई अणगारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता दोच्च गोयम अग्गिभूइ अणगार वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एयमट्ठ सम्म विणएण भुज्जो-भुज्जो खामेइ ।। १२ 'तए ण से तच्चे गोयमे वायुभूति अणगारे दोच्चे ण गोयमेण अग्गिभूतिणा अणगारेण सद्धि जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ जाव' पज्जुवासमाणे एव वयासी'२-जइ ण भते । चमरे असुरिदे असुरराया एमहिड्ढीए जाव' एवतिय च ण पभू विकुवित्तए, बली ण भते | वइरोयणिदे वइरोयणराया केमहिड्ढीए ? जाव केवइय च ण पभू विकुवित्तए ? 'गोयमा | बली ण वइरोयणिदे वइरोयणराया महिड्ढीए जाव' महाणभागे। जहा चमरस्स तहा बलिस्स वि नेयव्व, नवर-सातिरेग केवलकप्प जबुद्दीव दीव भाणियव्व, सेस त चेव निरवसेस नेयव्व, नवर-नाणत्त जाणियव्व भवणेहि सामाणिएहि य" ॥ १ भ० १११०। २. ततेण से दोच्चे गोतमे अग्गिभूती अणगारे . तच्चेण गोतमेण वायुभूइणा अणगारेण एतमट्ठ सम्म विणएण भुज्जो-भुज्जो खामिए समाणे उठाए उढेइ, उढेत्ता तच्चेण गोतमेण वायुभुतिणा अणगारेण सद्धि जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी (क, ता), अत्र प्रश्नकर्ता तृतीयो गोतमो वर्तते तेन प्रस्तुतवाचना समीचीना न दृश्यते । ३ भ० ३।४। ४ भ० ३।४। ५ भ०३।४। ६ गोयमा बली वइरोयरिणदे वइरोयणराया महिड्ढीए, से ण तत्थ तीसाए भवरणावाससयसहस्साण सट्ठीए सामाणियसाहस्सीण सेस जहा चमरस्स, नवर-चउण्ह सट्ठीण आयरक्खदेवसाहम्सीण अन्नेसिं जाव भुज माणे विहरति । से जहानामए एव जहा चमरस्स तहा बलिस्स वि नेयव्व, नवरसातिरेग केवल कप्प जवुद्दीव भारिणयव सेस त चेव निरवसेस नेयव्व, नवर-नाणत्त जारिणयव्व भवणेहिं सामारिणएहिं (अ), गोयमा । जाव महिड्ढीए ।५। से ण तत्थ तीसाए भवणावाससतसहस्साण सट्ठीए सामाणियसाहस्सीण सेस जहा चमरस्स, नवर-चउण्ह सट्ठीण आतरक्खदेवसाहस्सीण अन्नेसिं च जाव भुजमाणे विहरइ । से जहानामए एव जहा चमरस्स, नवरसाइरेग जवुद्दीव जाव एगमेगाए अग्गमहिसीए देवीए इमे वुइए विसए जाव विउव्विस्सति वा (क), गोयमा | जाव महिड्ढीए ।५। से ण तत्थ तीसाए भवणावाससतसहस्साण सट्ठीए सामाणियसाहस्सीण सेस जहा चमरस्स, नवर-चउण्ह सट्ठीण आतरक्खदेवसाहस्सीण अण्णेसिं च जाव भुजमाणे विहरड । से जहानामए एव जहा चमरस्स, नवर साइरेग केवलकप्प जबुद्दीव
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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