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________________ ३६. ८६ भगवई भवित्ता' अगारासो' अणगारिय पव्वइत्तए ? हता पभू॥ __३५ जाव च णं समणे भगव महावीरे भगवनो गोयमस्स एयमट्ठ परिकहेइ, ताव च ण से खदए कच्चायणसगोत्ते त देस हव्वमागए ॥ तए णं भगव गोयमे खदय कच्चायणसगोत्त अदूरागत' जाणित्ता खिप्पामेव अन्भुटेति, अन्भुढेत्ता खिप्पामेव पच्चुवगच्छइ, जेणेव खदए कच्चायणसगोत्ते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता खदय कच्चायणसगोत्त एवं वयासी-हे खंदया ! सागय खदया ! सुसागय खदया ! अणुरागय खदया ! सागयमणुरागय खदया । से नूण तुम खदया | सावत्थीए नयरीए पिंगलएण नियठेण वेसालियसावएण इणमक्खेव पुच्छिए—मागहा | किं सते लोगे ? अणते लोगे ? एव त चेव जाव' जेणेव इहं, तेणेव हन्वमागए । से नूण खदया ! 'अट्ठे समठे' ?" हता अस्थि ॥ तए ण से खदए कच्चायणसगोत्ते भगव गोयम एव वयासी-'से केस ण गोयमा" ! तहारूवे नाणी वा तवस्सी वा, जेण तव एस अट्ठे मम ताव रहस्स कडे हव्वमक्खाए, जो ण तुम जाणसि ? ३८. तए ण से भगव गोयमे खंदय कच्चायणसगोत्त एव वयासी --एव खलु खदया । मम धम्मायरिए धम्मोवदेसए समणे भगव महावीरे उप्पण्णनाणदसणधरे अरहा जिणे केवली तीयपच्चुप्पन्नमणागयवियाणए सव्वण्णू सव्वदरिसी जेण मम एस अटठे तव ताव रहस्सकडे हन्वमक्खाए, जो ण अह जाणामि खदया ! 38 तए ण से खदए कच्चायणसगोत्ते भगव गोयम एव वयासी-गच्छामो ण गोयमा तव धम्मायरिय धम्मोवदेसय समण भगव महावीर वदामो नमसामो" सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाण मगल देवय चेइय° पज्जुवासामो। अहासुह देवाणुप्पिया । मा पडिबध ॥ ४०. तए ण से भगव गोयमे खदएण कच्चायणसगोत्तेण सद्धि जेणेव समणे भगव महा वीरे, तेणेव पहारेत्थ गमणाए । ४१. तेण कालेण तेण समएण समणे भगव महावीरे वियट्टभोई" यावि होत्था । ३७ १ भवित्ता ण (क, ता, व, स)। ७-अत्ये समत्ये (क, वृ), अडे सम(वृपा)। २. आगारापो (अ, क, व, स)। ८ से केरण गोयमा (अ, व), केस ण गोयमा ३. अदूरआगय (अ, व, स), अदूरमागत (ता)। से (ता)। ४. पच्चुगच्छइ (अ, क, ता, म); पत्युगच्छड ६. आय (ता)। (व)। १० स० पा०-नमंसामो जाव पज्जुवासामो। ५. रेफस्य मागमिकत्वात् (वृ)। ११ वियट्टभोति (अ, ता, व, म, स)। ६, भ० २०२६-३५।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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