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________________ ७२ जो | पत्तियाहि अज्जो । रोएहि ग्रज्जो । से जहेय ग्रम्हे वदामो ॥ ४३१ तए ण से कालासवे सियपुत्ते अणगारे येरे भगवते वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वदासी - इच्छामि ण भते । तुव्भ प्रति चाउज्जामात्र धम्माग्रो पचमहवय पडिक्कमण धम्म उवसपज्जित्ता ण विहरित्तए । I हासुह देवाणुप्पिया | मा पडिवध' ॥ ४३२ तए ण से कालासवे सियपुत्ते अणगारे थेरे भगवते वदड नमसइ, वदित्ता नमसित्ता चाउज्जामा धम्माओ पचमहव्वइय सपडिक्कमण धम्म उवसपज्जित्ताण विहरति ॥ भगवई ४३३. तए ण से कालासवेसियपुत्ते प्रणगारे वहूणि वासाणि सामण्णपरियाग पाउण्ड, पाउ णित्ता जस्सट्ठाए की रइ नग्गभावे मुडभावे श्रण्हाण ग्रदतवणय ' अच्छत्तय ग्रणोवाहणय भूमिसेज्जा फलसेज्जा कटुसेज्जा केसलोग्रो वभचेरवासो परघरप्पवेसो लद्धावली उच्चावया गामकटगा वावीसं परिसहोवसग्गा अहियासिज्जति, तमटू आराहेइ, आराहेत्ता चरमेहि उस्सास- नीसासेहि सिद्धे बुद्धे मुक्के परिनिब्बु सव्वदुक्खप्पहीणे || पचचक्खाण किरिया - पदं ४३४. भते ति । भगव गोयमे समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वदासी-से नूण भते । सेट्ठियस्स य तणुयस्स य किवणस्स य खत्तियस्स य 'समा चेव" अपच्चक्खाण किरिया कज्जइ ? हता गोयमा । सेट्ठियस्स" "य तणुयस्स य किवणस्स य खत्तियस्स य समा चेव पच्चक्खाणकिरिया कज्जइ ॥ ४३५. से केणट्टेण भते । एव वच्चइ - सेट्ठियस्स य तणुयस्स य किवणस्स य खत्तियस्स य समा चेव प्रपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ ? गोयमा । प्रविति पडुच्च । से तेणट्टेण गोयमा । एव वच्चइ–सेट्ठियस्स य तणुयस्स— “य किवणस्स य खत्तियस्स यसमा चेव अपच्चक्खाणकिरिया • कज्जइ ॥ आहाकम्म-पदं ४३६ 'आहाकम्मं ण" भुजमाणे समणे निग्गथे किं वधइ ? किं पकरेइ ? किं चिणाइ ? किं उवचिणाइ ? १. कुरुष्व इति गम्यम् (वृ) । २ अदतवण्णय ( क ), अदतधुवरणय (ता, व, स ) ३. परिणिव्वुए (अ, ता, व), परिरिंग (कम) | ४ सेट्ठिम्स (ता, व), सिट्टिस्स (म ) । ५ किविरणस्स (ता) | ६ समच्चेव (व, म) । ७ स० पा० - सेट्ठियस्स जाव अपच्चक्खारण I ८. स० पा० - तणुयस्स जाव कज्जइ । आहाकम्मे ग ( क ), आहाकम्म ग ( ता); आहाकम ण (व), आहाकम्मणं (म ) ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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