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________________ E-EFERESUPREFREE -En E easलन FFER FEEL I सिफ पिन पाते / ऐसी रया में देगा माता है कि बात लोग चशम हो जाते हैं। पपहार दूसरों को दूषित हारा कर बोसतेइम हारिपटिके समय एक तरफताबारी पुश्मनपरमातेसरी तरफ पुरिमस्थिर होने से अपनी 4 मत दिमाई नहीं देती। भव का मसुम्प प्पमता के कारण भपणे मारमायेप सब कामों हो फोड़सार और प्रबल सपा / राकि साप म्याप मी पसा पोरता है इस लिये उस : समपस मनुष्य के लिये ऐसे गुदकी मापश्पकता दिगो साधुद्धिमेन को स्पिर फारसे पर देखने में मत पगाये किरपम्पिव निम का मसती कारण क्या हो तर पुतिमानों में विचार भियापही पठापनापि-पैसा गुरु कर्म का सियाम्ती / ममुष्प को या विश्वास करना पाहिए कि-वारे में जान पानही सेकिन मेरे पिन का मीतरीप मसती कारण मुम में ही दोना चाहिए। जिसप भूमि पर पितापगता उसका बीज भी उसी भूमिका में पोपा मादोना चाहिये। पपन पानी माविबाहरी मिमित्तो के समान रस बिन पो भकुरित होने काचित् सम्प कोई म्पति निमित हो सकता पर पर मिमका बीम नही पेसा विश्वास मनुष्य केमिष को स्थिर कर देता है। जिससे पारपाचन क प्रसकी कार को अपन में रेचर। हो रसक लिये इसरो कोसतारेभीरकपाता। ऐसे: पिनास बाम ममुप्पएप में तना बस प्रकार होता है कि शिससे साधारण संकर के समय विधित होपानी पसीपी पिपत्तियों को रुपमहीं सममता पीर अपने स्वा पहारिक पा पारमार्पिक काम को पूरी पी कर रापता है।
SR No.010866
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
Publisher
Publication Year
Total Pages206
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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