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________________ सय १२ फन्दी जैसे कि-पिशाच १ भूत २ या ३ राक्षम ४ किता किंपुरुप ६ महोग्ग ७ गान्धर्य ८ आणनि ९ पानपनि १० इसियाय ११ भूययाय १२ १३ महाक्न्दी १४ पुदष्ट १५ पयगवाह १६५ दस प्रकार के ज्योतिषी देय जैसे कि - घद्र १ सूर्य • ६३ नमन ४ और तारा : यह पाचही घर और पाच ही स्थिर क्योंकि अढाईशीप र भीतर ( अभ्यता) पर हैं और अढाई द्वीप से बाहर स्थिर है। एक प्रकार के मामक देव-सेनि अन्न. जुभा १ पान जुभफ २ लयन जृभक ३ शया भा ? यस शुभक ५ पुष्पगृभर ६ पल जूभक ७ पुष्प फ्ल भए ८ पीज जूभक ९ आवती जृभक १० द्वादश कल्प देवरोक - जैसे वि- - सुधम देवलोक, १ शान देवलोक : मनत्कुमार देवलोक ३ माहेंद्र देवलोक ४ ब्रह्मदेयरोक ५ लातक देवरोक ६ महाशुर देवरोक ७ सहश्रार देवलोक , आनन् देवलोक ९ माणत् देवलोक १० अरण्य देवलोक ११ अग्युन् देवलोक १२
SR No.010865
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherJain Swarup Library
Publication Year
Total Pages210
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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