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________________ १०५ - निर्यग् की आयु ३ । ये तीन प्रकृतियाँ जीर पुण्य कर्म के पल मे आयुष्फर्म की अनुभव करता है। - यदि ऐमा कहा जाय कि क्या पशु का आयुप्फर्म भी प्रोदय मे माना जाता है ? तो इसके उत्तर में कहा जाता है कि कर्म भूमिज वा अकर्म भूमिज बहुत मे ऐसे पशु भी है जिनका मनुष्य का देवता सेवा करते हैं । इस वास्ते इम प्रभार * पशुओं का आयुष्कर्म भी पुण्योदय में माना गया है । ____पुण्य प्रति के उन्य से नाम कर्म की ३७ प्रकृतियाँ गने म आती है जो निम्न लिखित अर्थ युक्त लिसी जाती मे कि... शाम कर्म किम कहते हैं ? तार को गत्यादिक नाना रूप परिणमारे अथवा शरीरादिक गावे भावार्थ - नामम आत्मा के सूक्ष्मत्व गुण को एनना है। १ देव गनि किसे कहते हैं ? जो कर्म जीव का आकार व रूप बनावे । २ मनुष्य गति किसे कहते हैं ? नो कर्म जीव का आकार मनुष्य रूप बनावे २ पवेन्द्रिय जानि किसे कहते हैं ? .
SR No.010865
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherJain Swarup Library
Publication Year
Total Pages210
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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