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कपूरचन्द्र ! गुरु महाराज के दर्शनों के लिए ही शीघ्रता कर रहा हूं। - हेमचंन्द्र ! जब गुरु महाराज के दर्शनों की उत्कण्ठा है तो फिर शीघ्रता क्यों करते हो ।
कपूरचन्द्र ! गुरु महाराज की भक्ति के लिए ।
हेमचन्द्र ! गुरु महाराज की भक्ति किस प्रकार करनी चाहिए।
कपूरचन्द्र ! जब गुरु महाराज पधारें तव मागे उनको लेने जाना चाहिए । जव वह पधार जाए वर फया व्याख्यान भादि कृत्यों में पुरुषार्थ करना चाहिए । जव वह भाहार पानी के लिये कृपा करें तव उनको निर्दोष माहार देकर वा दिलवा कर लाभ लेना चापिये। जब तक वह विराजमान रहें तब तक सांसारिक कार्यों को छोड़ कर उन से हर एक प्रकार के प्रश्नों को पूछ कर संशयों से निवृत्त हो जाना चाहिये। क्योंकि जव गुरुमहाराज जी से प्रश्नों के उत्तर न पूछे जाएं तो भला और कौन सा पवित्र स्थान है जिस से सन्देह दूर होसके।
हेमचन्द्र ! गुरु से क्या होता है।