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________________ प्रश्न ( ६६ ) नवाँ पाठ। (जैन सिद्धान्त विषय) उत्तर ससार अनादि है या अनादि भी है आदि मादि। ..मला या दोनों बातें । प्रियवर ! संसार दोनों कैसे होसक्ती हैं, या तो | स्वरूपों का धारण करने धनादी कहना चाहिये या | वाला है अतएव । संसार मादि । शनादि भी है और आदि भी है। अनादी किस प्रकार से प्रवाह से। प्रवाह किसे कहते हैं। ___ सो क्रम से कार्य चला ठा हो। इसमें कोई दृष्टान्त दो। जैसे पिता और पुत्र का अनादि सम्बन्ध चलाभाता है तया जैसे कुक्कड़ी से भएडा, और अएटा से कुक्कड़ो-इसी क्रम को | मनांह कहते हैं।
SR No.010863
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherShivprasad Amarnath Jain
Publication Year1923
Total Pages788
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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