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________________ ६०० जनसम्प्रदायधिशा ॥ पथ्यापथ्य--इस रोग म दही, गुरु, दूध, पार फा साग, उद तथा पिसाब अप्न (चून भोर मेदा मादि), इन पनामा को त्याग देना चाहिम अर्थात् ये पदार्थ इस रोग म अपथ्य है, इन फे सिपाय जो पनाथ अभिप्यन्दी (वेद के छिद्रपद रन घास), भारी तथा मगर फे समान गिठगिठे है उन सब का भी त्याग पर दना चाहिय । उन्माद अर्थात् हिष्टीरिया ( Iysteria ) रोग का वणन ॥ लक्षण–पयपि इस राग म यिपिष प्रकार के (अनेक तरह) सते ।। अपाम् पेस पाव पारदी रोग हांगे कि जिन फे पिड इस (हिपीरिमा रोग) में न हार हो सधापि इस का मुम्प पिद भनवान है। नरिवरियापी भाति या बगा नाता मत प्रिम प्राप र पहुन ग मार भगान राम मा (भ ) म म ममम मून या माग मान तयार पाम् पत्तमान में परणामामा-पपा गम लियो दानाम रंगना भार ना भारि मौको पर प्रिया प्रमती गगमम हमारे भार धीमान 4 गाधारण म राम भार रगतुन जान पर भूत भारि पापा मम मेरमा GET यत्र मन भारा प्रपन्य भारि बनाने में भी पा नही रपार पर गरम पारसग सग भी पनापन जारभपमा मवमय गान में भी काम र प्रमा यत्र मन्त्र भराडार भरा मHI MIR Kाव उमा का भारभार पाव। परन्तु पी10 प्रम मारा दिमाम्पी भूत मिसौरीपना भाशिरभर परनाम (मोना) arti गबली पनप मम म पर पछतादभार बागमा म प म प्रमा पारकर भारसमा रमप्राप्त जाना। बिस वापस भर ur at भार भाषणापण र पिया की उपासना ।। भवान् भून प्रत पारिश्रम (बाम) मारी थी भीर मरीभार " प्रमन रमा भारिपामोदरम नामान पाश्रम र यमानाय " भार माठ गमन मार विमानन सामा पाय प. प्रमापार ( सर) प्राम (44) में बन पहमी बने पर भी नाम ' पना ग म पनीसमभ- भूत प्रभार भ RA (परम) मात्र पापा का भाप भी अपनी परने पानपान पूरानो सपनो की मिना मगन BITHर-विमामा मापामा पप 1 ममा नायरा भार नपान र म बाप माननपा पार पाना मगमगों परम पद को भग 11 पनों 40 मानना ना भ र माग्नमा महाबर ५ (1
SR No.010863
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherShivprasad Amarnath Jain
Publication Year1923
Total Pages788
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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