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________________ ( ( 1 ) ) ६ Τ चाहिये। जैसे। फिरू नहीं करा एक २३ दो करण ३ योग से कहने नहीं मनसा वयसा कायसा १ फर्क नहीं अनुमोदन बबसा वयसा कापसा २ प्रराऊ मा अनुमो नहीं मनसा वयसा कापसा ३|| " ७- अंक एक ३१ का भांगे थे । तीन कर एक योग से कहने चाहिये । क नहीं कराफ़ नहीं मतु मोई नहीं मनसा १ क नहीं कराके नहीं अनुमोदं पढ़ीवयसा २ करू नहीं कराक नहीं अनुमोद नहीं कायसा - एक ३२ की मांगे कहना चाहिये करू नहीं करा मनसा वयसा १ फर्क नहीं कराए मनसा कामसा र कह नहीं कराऊ नहीं अनुमोद प वीन करा दो योग से नहीं अनुमोद नहीं नहीं अनुमों म वयसा कामसा ३ । ३३ का महा १ धीन करणा चीन योग प्र नहीं कराई नहीं 8का चाहिये। जैसे कि मोद, नहीं बनता वयसा कावसा १ ॥ I
SR No.010863
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherShivprasad Amarnath Jain
Publication Year1923
Total Pages788
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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