SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 596
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५३२ अनसम्प्रदायविधा। (पिछम भमान भीतरी) भाग में मह रांग आता र स्यां २ रसी पिप निकली? भोर यमी (पेठ) माग में मार (मौन) सा प्रतीत (मास) दाय मिर पीरा विप टोती, कभी २ सिम के अंदर भी चाँदी पर बाती मोर उस में म रसी निष्लती परन्तु उसे सुनाम का राग नही समझना चाहिय, पानी पाप नाम से होती है और यह मुम पर दीदीमती, परन्तु जन भीतरी भाग में ही है सब इन्दिर का माग कटिन भार, गीला सा प्रतीत (मामा) हाठा है। सुनाम कार को हुए ये पनि चिद वन से पन्द्रह दिन तक रह रमन (नरम ) पर गनेरगी फम भोर पतली हो जाती है तथा पीठी मदक (मार में) पन्न रंगी भान माती, जमन भोर निनग कम आबादी तमा भामिरभर यि पर बन जाती है, सापय यह वि-दा तीन हटा में रसी विसर पर हार मुत्राम मिट बाठा, परन्तु जब सफेद रसी भाडा २ भाग का महीना निकाय सदमा ३ सप उसका मान प्रमेद (पुराना सुबाम) है, इस पुराने मुबास मिटना महत दिन (मुसिळ) नासामधान दा चार मास मात्र (२)मा गहत, पिन कुछ गम पदार माने में मात्रामा ताहीर मारमा परन मगमा भभात पुन सुनाम हो जाता सुवास पुराना जान भीम दी दस में मे पहा अमाम् मूगार उत्पन्न हा बाठी भोर पहनना। देवी किरागी भार व उस परम ग्रन हो तेसमा मह निम्मित (निमय श्री मान है कि पुराने सुनाम म प्राय म्यासछादी गाना। भी सवाम ग्राम पर भी छा बानी पानी २ सवाम पारप इन्द्रिय पर मस्मा भी दानाका इन्तिम पसराव वाठारभार उस पार र गोप्रति (नादि) artviartit नाम बतमा मात्र प, उन ENA सर माइयो (m) प्रमाण २५49Pमान (ग) में पारिगर dिain san (माHA) RETORIEनपरेमा पी(hat प्र)बार ससाना में पिर नगा JANला Patrikakaikat RA (RA) Julturarta भार। Aalha Rm इमाम FORIENT बिर 41804 -मारीसपिन (B)नना मान माप्रपा(2016)मा प्रा Arpur) (LUMIA)
SR No.010863
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherShivprasad Amarnath Jain
Publication Year1923
Total Pages788
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy