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________________ पर मननिरोगहनविरोफारमसमर सखिसा गमा है परन्तु “ममिनन्दिका भाषण मात काही जोकोचर माप वर्णन किया हमारे जैसे कि-"पमा भाषणो अभिनन्दिता दितीया प्रतिष्ठिवः स्यादि भाषण मास को ही अमिनन्द वा ममि मिव करते हैं इसी प्रकार मार पोपा बापा पारा मासों के नाम इसी प्रकार घाममे चाहिये । सौकिक मास नषों के मापार पर मेर है मैमेधि-भाषण नपारण से "भरमा भाषपद " "माद्रमा स्पादि निम्तु बोचरमास अतो भाभार पर फोइए? मैमे मास्ट पो मास इसी प्रकार प्रम्प चतुओं के दो दे। भास गिम पर पारा मास हो पाये। पपपि माम व सम्पस्सर का प्रारम्भ चैत्र मास से रिपो जाता है परन्तु माचीन समय में समस्सा प्र भारम्म भाषण मास से सेवा पा इस पा कारण पा पा कि-माचीन समय सापम मद के अनुसार कार्य होवा वा मैस कि- मप ए दधिणापस रास येवरही सम्बस्सर का भारम्प सजावा मा और "रवि सोपा
SR No.010863
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherShivprasad Amarnath Jain
Publication Year1923
Total Pages788
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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