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________________ २२६ मैनसम्प्रदायशिक्षा ॥ मावे उसे घोल कहते हैं, इस में मीठा गल कर खाने से यह को पाम के रस के समान गुण करता है। २-मधित-भर निकारकर जो विलोया पाये उसे मपित कहते हैं, यह गायु पिए मौर फफ का हरनेवालग समा इप (इदम को प्यारा सगनेवाला) है ॥ ३-उदस्थित्-~भाषा वही तमा भाषा म गल कर दो विगेमा चापे उसे उद सित् कहते हैं, यह फफ करता है, साकत को पगता है और माम को मिटाता है ॥ -षिका (छाए) विस में पानी भपिक गग पावे समा पिठो र बिस का मक्खन विसफुल निकाल लिया जाये उसे छछिका या छाछ करते हैं, यह हमी , पित, यकाबट और प्यास को मिटाती है, वातनाशक ठगा कफ को रनेवारी ७ नमक राक कर इस का उपयोग करने से यो भमि को मवीट करती है तथा कफ में फम करती है। ५-तक-दही के सेर भर परिमाण में पाव भर पानी रात कर जो विगेया जाये। उसे तझ करते हैं, यह वस को रोकता है, पचने के समय मीठा है इसम्मेि पिच को नहीं करता है, कुछ सट्टा होने से यह उष्णवीर्य है समा स्व होने से कफ को नए करता है, योगपिन्तामणि सभा भीभायुर्शनार्णव महासंहिसा में श्री हेमपन्द्रापार्य ने म्लिा । किसक का ममायोम्म सेवन करनेवाला पुरुष कभी म्यवहार नय से रोगी नहीं होता। मोर तक से दग्ध हुए (बले हुए वा नष्ट हुप) रोग फिर कभी नहीं होते हैं, से सम देवतामों को भमत सुस देता है उसी प्रकार मृत्युलोक में मनुष्यों के रिसे तक भमृत के समान मुसदाय है। तक में मितने गुण होते हैं ये सब उस के आषार रुप दही में से ही भाते है अपात् विस २ प्रकार के वही में बो २ गुण परे है उस २ प्रकार के वही से उत्पन हुए तक में भी पे ही गुण समझने पोहियें ॥ तक्रसेषनषिषि-वायु की महसिमाले को तमा गायु के रोगी को सही छाछ में सपा नमक ग र पीने से काम होता है, पित्त की प्रतिमा को सपा पित के रोगी को मिनी गस कर मीठी छाछ पीने से काम होता है तथा कफ की प्रकृतिमासे को और कफ के रोगी को सपा ममफ, सोंठ, मिर्च भौर पीपक म पूर्ण मिम कर छाछ के पीने से पहुत काम होता है। -या मोष्ट-न वासेषी मपते परावि बनायाः प्रभवन्ति रोगमा मुराणमस्त पुबार पा मरापो मुनि परमाहुः 1 ॥ इस प्रमई कपर किये भासार दtta २-वि पर राप हो तो उस समाजवषमी होवाta
SR No.010863
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherShivprasad Amarnath Jain
Publication Year1923
Total Pages788
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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