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________________ २१४ जैनसम्प्रदामशिक्षा || घट्टी पक्की ककड़ी मि और पिच को बढाती है, मारवाड़ की ककैड़ी तीनों दोषों को कुपित करती है इसलिये वह स्वाने और शाक के लायक निरुकुल नहीं है, हां यदि खून पकी हुई हो और उस की एक या दो फार्के काली मिर्च और सैंधानमक लगा कर स्वाई जायें तो वह अधिक नुकसान नहीं करती है परन्तु इस का अधिक उपयोग करने से हानि ही होती है। कलिन्द ( मतीरा ) - कफकारक और वायुकारक है, लोग कहते हैं कि यह पिच की प्रकृति वाले के लिये अच्छा है परन्तु इस का अधिक सेवन करने से क्षम की बीमारी हो बाती है, वास्तव में तो ककड़ी और मदीरा तीनों दोषों में भवस्य विकार को पैदा करते हैं इस लिये ये उपयोग के मोग्म नहीं है। बीकानेर के निवासी लोग कधे मधीरे का चाक करते हैं सभा पके हुए मतीरे को हेमस ऋतु में स्वाते हैं सो यह अत्यन्स हानिकारक है, मारवाड़ के जाट लोग भौर किसान आदि कवी मामरी के मोरड़ को स्वाकर ऊपर से मतीरे को खा लेते हैं इस से उन को अभ्यास होने से यद्यपि किसी अंध में कम नुकसान होता है तथापि महिनों तक उस का सेवन करने से छीत वाह ज्वर का स्वाद उन्हें भी चलना ही पड़ता है ॥ सेम की फली - मीटी है, ठडी और भारी होने से घातक है, पिच को मिटाती है सभा ताकत देती है | गुधार फलीरूक्ष, भारी, कफकारक, अमिदीपक, सारक (दस्तावर ) और पित हर है, परन्तु वायु को बहुत फरती है । सहजने की फली - मीठी, कफहर, पित्तहर भौर अत्यन्त अभिदीपक है, शूल, कोड, क्षम, श्वास तथा गोले के रोग में बहुत परम है, सहचने की फली के सिनाम बाकी सब फलियां बात है ॥ सूरण केन्द्र-अमिदीपक, रूस, हलका, पाचक, पित्तकर्त्ता, तीक्ष्ण, और रुचिकर है, हरस, शूल, गोला, कमि, कफ, मेद, बापु, अरुचि, श्वास, मांसी, इन सब रोगों में फायदेमन्द है, परन्तु दाय, फोन और रक्तपित के अपथ्य है, इरस की बीमारी में इस का था तथा इसी की रोटी पूड़ी और बनाकर लाने से दवा का काम करता है, कन्याकों में सूरण का शाफ परन्तु इस को अछीतरह पका कर तथा पूरा डालकर खाना चाहिये | १ इस को गुजरात में इसी का नाम संस्कृत में है इनमें भर का तरह मस्तम्भक तिल्ली और रोगी के लिये वीरा भावि सब से श्रेष्ठ है उपम
SR No.010863
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherShivprasad Amarnath Jain
Publication Year1923
Total Pages788
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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