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________________ श्रीकृष्णा के साश्वासन को पूर्ति श्री टो० एन० वेंकट रत्न भायम, मो रमन भान भारतमागी जिने गौमायामोहक प्राचार्यश्री नमो ने नाता' पापारिमा भिगिपनि दर में पसपायानन का मान दिया रवाना भारत दिम पौर नियोय गायापों का देश है. शिनु नई राजना पापीनवारो का होने के पश्नान पर इस गुवन पान्दोलन का मा है। देश ने यह बताना चाहमा स्वागतात कोपरि इस प्रयोग करने वाले महात्मा गाधी ये। माधोवी मत्य को ही इयर का मोर जीवन में उनका एक मात्र ध्येय माय को नौका सेना या पोर उरा मात्र इच्छा थी कि प्रमस्य पर सत्य की जय हो। माध्यात्मिक परम्पराम्रों का धनी देश को स्वतन्त्र हए सोलह वर्ष हो गए । इम पवधि में देश का नैतिक एकीकरण हमा मौर राष्ट्रनिर्माण को दो-बही प्रवृत्तियां शुरू इसका प्रकट प्रमाण है-मोद्योगिक क्रान्ति और सामाजिक पुनर्गठन । . हमाग राष्ट्र प्रमश: बलवान होगा और अन्य पूर्वी मोर पाश्चात्य या साथ-साप विश्व-कल्याण के लिए नेतृत्व कर सकेगा। पश्चिमी दशा इस नेतृत्व को स्वीकार करने के लिए उचत हैं। केवल इसलिए नहा राष्ट्रपिता महात्मा गाधी को कीर्ति चारो मोर फैल गई है प्रत्युत इसलिए कि भारत प्रत्यन्त प्राचीन प्राध्यात्मिक परम्परामों का धनी है। किन्तु हमारे राष्ट्र को दूमरे देशो को माध्यात्मिक मूल्य सुलभ करने की बात की पूर्ति करना हो तो उसे पात्म-निरीक्षण करना होगा। इस प्रारम-नि
SR No.010854
Book TitleAacharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1964
Total Pages163
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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