SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नहीं है और माधुनिक समाज को, एक निश्चित मात्राम लम्सलाम भौतिक मुख-सुविधा तो सबको मिले, ऐसा प्रबन्ध करना होता है। परन्तु सादगी का मर्थ दरिद्रता नहीं है पोर न जरूरतें बढ़ा देना प्रगति की निशानी है। हमे भौतिक और नैतिक कल्याण पोर विकास के बीच एक सतुलन उपस्थित करना होगा। यह ध्यान प्रतिदिन रखना होगा कि आर्थिक सयोजन में लक्ष्यो को पूरा करने के साथ-साथ नैतिक पुनरुत्थान के लिए भी अनकल परिस्थितियां निमित करने का काम भी करते रहना है । नहीं तो हम ऐसे मार्ग पर चल पड़ेंगे, जो हमारी संस्कृति और राष्ट्र की मात्मा के प्रतिकूल होगा।" ____पकिन प्रतीक होता है, विचार पूजा है । पररावत-भान्दोलन एक विचार ही नहीं, परिपूर्ण जीवन-दर्शन है। वह नाना विचारको के उर्वर चिन्तन से दिनप्रतिदिन समृद्ध बनता जा रहा है। प्रणवत-प्रायोजन की वेदिका पर बैठकर देवा के चिन्तकों, लेखकों व वक्तापो ने जन-जोवन की मनगिन समस्यामा पर विपार दिया है। उन विकीर्ण विचार कणों का क्तात्मक सयोजन मनि महेन्द्रकुमारजी 'प्रथम' कर रहे हैं । कुछ समय पूर्व प्रधान को भोर' दो भागो का सकलन-सपादन उन्होने किया था। इस दिशा में उनका यह तीसरा सालन मणवत-मान्दोलन के इतिहास में मुनि महेन्द्रकुमारजी 'प्रथम' का रणग कुछ कम-अधिक वैसा ही सम्भा जा सकता है, जैसा कि पच शील के इतिहास में मिा महेन्द्र का । उनका रायं-क्षेत्र संका रहा है मौर इनका कार्य-क्षेत्र दिस्तो । वर्तमान पातुम मे भी, वे वहीं एकादश सतीष्यं माधु-साध्वियो के साय प्रणवत पार्यमो का दायित्वपूर्ण मचालन कर रहे हैं। मैं उनके सन् प्रयलों की सफलता चाहता हूँ। वि.सं. २०२० तनिक बला ३, -मुनि नगराज बोधिस्थल, राजनगर १. सरप- निदोरन, भाग . नारा
SR No.010854
Book TitleAacharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1964
Total Pages163
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy