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________________ मेरा सम्पर्क ही समझता था। दो-तीन वर्ष पूर्व प्राचार्य तुलसी लखनऊ में माये थे। प्राचार्यश्री के सत्संग का भायोजन करने वाले सज्जनो ने मुझे सूचना दी कि पाचार्यश्री ने अन्य कई स्थानीय नागरिकों में मुझे भी स्मरण किया है । लड़कपन को कटु स्मृति के बावजूद उनके दर्शन करने के लिए चला गया था। उस सत्सग मे आये हुए प्रधिकाश लोग प्राय प्राचार्य तुलसी के दर्शन करके ही सन्तुष्ट थे। मैंने उनसे सक्षेप मे मात्मा के प्रभाव मे भी पुनर्जन्म के सम्बन्ध मे कुछ प्रश्न पूछे थे और उन्होने मुझसे समाजवाद की भावना को व्यवहारिक रूप दे सकने के सम्बन्ध में बात की थी। ____ प्राचार्य का दर्शन करके लौटा, तो उनकी सौम्यता और सद्भावना के गहरे प्रभाव से सन्तोप अनुभव हुपा । अनुभव किया, जैन साधुमो के सम्बन्ध में लड़कपन की कटु स्मृति से ही धारणा बना लेना उचित नहीं था। दो बार प्रौर-एक बार अकेले पोर एक बार पत्नी-सहित आचार्य तुलसी के दर्शन के लिए चला गया था और उनसे प्रात्मा के अभाव मे भी पुनर्जन्म की सम्भावना के सम्बन्ध में बातें की थी। उनके बहुत सक्षिप्त उत्तर मुझे तक. संगत लगे थे। उस सम्बन्ध में काफी सोचा , और फिर सोच लिया कि पुनर्जन्म हो या न हो, इस जन्म के दायित्वों को ही निबाह सर्फ, यही बहुत है। एक दिन मुनि नगरानी व मुनि महेन्द्रकुमारजी ने मेरे मकान पर पधारने की कृपा की। उनके पाने से पूर्व उनके बैठ सकने के लिए कसियां हटा कर एक तस्त डालकर सोतलपाटी बिछा दी थी। मुनियों ने उस तस्त पर बिछी सीतलपाटी पर आसन ग्रहण करना स्वीकार नही किया। तस्त हटा देना पड़ा। फर्श की दरी भी हटा देनी पड़ी। तब मुनियो ने अपने हाथ मे लिये चंवर से फर्श को झाड़ कर अपने पासन बिछाये मोर बैठ गये। मैं और पत्नी उनके सामने फर्श पर ही बैठ गए। दोनो मुनियों ने मावसंवादी दृष्टिकोण से शोपणहीन समाज की व्यवस्था के सम्बन्ध में मुझसे कुछ प्रश्न किये । मैंने अपने ज्ञान के अनुसार उत्तर दिये । मुनियों ने बताया कि प्राचार्यश्री के सामने घरगुवत-मान्दोलन की भूमिका पर एक विचारणीय प्रश्न है । प्रणव्रत में पाने वाले कुछ एक उद्योगपति अपने उद्योगों को शोपण-मुक्त बनाना चाहते हैं, पर अब तक उन्हें एक समुचित
SR No.010854
Book TitleAacharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1964
Total Pages163
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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