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________________ पासायी गुनी रिया है। वनों को पाने के रोगियों में वासना करने पर बल हो जाती है। चीन में मार और एका है। पीन को पाने की उम्र को उमाह माप भगीरप प्रवल कर रही भारत में पाया पाना है। बस यही प्रोधित 3 run.? कभम में नीबोना। मन में एकता है. मायामाल यह है कि मारे भानही राबनिक राम कर रहा है। भारत ने मगार का गवणे हा स माज का है और वह पर भी रहा है। विएनी-सी योजना बनाई जा रही है और कानाको जानी है। इस काम मायों की ममता में सरकारी पारी है. गाय गाभाग मरिन भी पाप हो स्वानुमय के पाये गा मंत्री रात्र पा, प्रतंक घोटी-मोटी देशी रिमा भी पों, राजा-महाराजे मोरपाय अपने माने गम्य में महानुनार राज करते थे। वही सव इन रियामों में प्रना का कोई भी अधिकार नहीं था। इस समय तो भारत का कोई भी पास नही, जहां प्रजातनम नहीं रहा हो मोर जहाँ प्रजा का अधिकार न हो। मष्टि से समम्त भारत एक ही सत्र में बाधा गया है। यह एक प्रकार की एकता है । यह अवश्य उन्नति का लक्षण है। इनके माधार पर बड़े-बड़े काम किये जा सकते है। चारिप-भ्रंश कुछ सन्तोषजनक बातों के होने हुए भी स्वानन्थ्य के बाद देश में मसन्तोष फैल रहा है। पचवर्षीय योजनामो के मफल होने पर भी देश मे निकाय सुनने मे भा रही हैं। ये दुःख को प्रावाजें साधारण जनता की दरिद्रता और पिछड़ी हुई स्थिति के सम्बन्ध में नहीं हैं। चारों मोर से एक ही दाद सुनने में माता है और वह है 'चरित्र भ्रम'। लोग अपने साधारण वार्तालाप में, नेतु-वर्षे मपन भापणों में, यही घोपित करते हैं कि देश के सामने सबसे बड़ी समस्या बनता के चरित्र भ्रश की है। धर्म और मानवता का पूरा तिरस्कार करके लोग अपना स्वार्थ साधने में तत्पर हैं। जीवन के हरएक क्षेत्र में इस बात का अनुभव किया जा रहा है। जनता का ऐसा कोई भी वर्ग नही है जो इस परित्र-भ्रश से बचा हो। किसी वर्ग, दल, धर्म, सम्प्रदाय या वर्ण को दुमरों पर इस विषय में
SR No.010854
Book TitleAacharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1964
Total Pages163
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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