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________________ पाबा गुरमी titit fit भी गान गारपरम को उन्होंने Titf --गम में जमीने गाय, म्याकरण, . को, fruirm fun attr मा मिनापामो के शान की irrr को गोrmirar कोशीमो में धर्म-प्रया में RIT को। गा मानो कि मानक स्तर को उन्नत करने के vitrinaनविना राम दानिक वाद-विवादों को को मारह निगल जानाम प्रौर जान-दान की पति प्रतिशे में समान इमाम का ही यह पन है कि गाय पाभारत Mir usrit सम्प्रदायों में है। IIT में पापाय नमो ने ओ महान कार्य किया है, उसका एक महरसा और भीरमौर पर है-नमंन्यों --प्राममां पर उनका मनुमपान । प्रागन भगवान महावीर कपोका मग्रह हैं। वे मान के भधार हैपर भगवान महावीर के निवारण के उत्तरकालीन पच्चीम सौ वर्ष के समराह ने इन भागमी में अनेक स्थानों पर दुशंध्यता उत्पन्न कर दी है। मापायंत्री तलगो के पय-प्राशन में अब इन भागमो का हिन्दी-अनुवाद तथा कोष तयार किया जा रहा है। निम दिन यह कार्य पूर्णतः सम्पन्न हो जाएगा, उस दिन संसार यह जान सकेगा कि तप पूत इस व्यक्ति मे श्रम के प्रति केसी अटूट भक्ति है ! यह कहना अतिशयोक्तिपूर्ण न होगा कि अपनी ज्ञान साधना से प्राचार्यश्री तुलसी ने यह सिद्ध कर दिया है कि वे श्रम के ही दूसरे रूप है। प्राचार्यश्री तुलसी की दिनचर्या भी विराम श्रम का एक उदाहरण है। वे ब्रह्म मुहत्तं में ही शम्या छोड़ देते हैं। एक-दो घण्टे तक मात्म-चिन्तन और स्वाध्याय के अनन्तर प्रतिक्रमण-मब नियमो और प्रतिज्ञामो का पारायण करते है । हलासन, सर्वांगासन, पद्मासन उनका प्रिय एवं नियमित व्यायाम है। इसके पश्चात एक घण्टे से अधिक का समय वे जनता को उपदेश तथा उनकी जिज्ञासाम्रो यो शान्त करने में व्यतीत करते है। भोजनानन्तर विधाम-पाल में हल्का-फुल्का साहित्य पढ़ते हैं। उसके बाद दो हाई टे तक का उनका समय साधुमो और साध्वियों के प्रध्यापन में बीतता है। विभिन्न विषयो पर विभिन्न लोगो से वार्ता के बाद पे दो पल्टे तक मौन धारण करते हैं और इस
SR No.010854
Book TitleAacharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1964
Total Pages163
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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