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________________ परक सामग्री को मपेसा में यह पूरा 'तुलमो अभिनन्दन गाय है। पाठक पाएंगे, इममें प्राचार्यश्री तुरसीको देश-विदेश के विद्वानों, विचारकों, अन-नेतामों व चिन्तकों को वागी में। में वृता है, पादरणीय मुनिधी नगराबजी के प्रति, जिन्होंने मेरे निषेत पर मपनी कार्य-व्यस्तता में भी भूमिका लिखने का कष्ट उठाया। यो जयमान के सदों में "अभिनन्दन अन्य के संपादन को गालीनता का सारा श्रेय मुनिश्री नगराजजी को है।" प्रस्तुत पुस्तक जब कि उसी अन्य का रूपान्तर मात्र है तो मुनिधी महम ही उसकी शालीनता के योभाग हो जाते हैं । समम पार ममारोह के ये मुरू बिन्दु रहे हैं और प्रगणुव्रत परामर्शक उनको परिचारक स्वामि है। -मुनि महेन्द्रकमार 'प्रथम' शि.मं.२.२..कानिक सुपना मतमो पारिश मान, माजी मणी, हिम्मी
SR No.010854
Book TitleAacharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1964
Total Pages163
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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