SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 118
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ राय चन्द्र जैनशास्त्रमालायाम् चरस्थिरभवोद्भूतविकल्पैः कल्पिताः पृथक् । भवन्त्यनेकभेदास्ते जीवाः संसारवर्तिनः ॥ १२ ॥ अर्थ - और संसारी जीव त्रस और स्थावररूप संसारसे उत्पन्न हुए भेदोंसे भिन्न २ अनेक प्रकारके हैं ॥ १२ ॥ पृथिव्यादिविभेदेन स्थावराः पश्चधा मताः । सास्त्वनेकभेदास्ते नानायोनिसमाश्रिताः ॥ १३ ॥ अर्थ – संसारी जीवोंमें स्थावर जीव पृथिवी, अप, तेज, वायु और वनस्पति भेदसे पांच प्रकारके हैं और त्रस द्वीन्द्रियादिक भेदोंसे अनेक भेदरूप हैं तथा अनेक प्रकारकी योनिके आश्रित हैं ॥ १३ ॥ चतुर्धा गतिभेदेन भिद्यन्ते प्राणिनः परम् । मनुष्यामरतिर्यञ्चो नाकाश्च यथायथम् ॥ १४ ॥ अर्थ — और संसारी जीव गतिके भेदसे मनुष्य, देव, तिर्यंच और नारक चार प्रकारके हैं ॥ १४ ॥ 30% ९४ भ्रमन्ति नियतं जन्मकान्तारे कल्मषाशयाः । दुरन्तकर्मसम्पातप्रपञ्चवशवर्त्तिनः ॥ १५ ॥ अर्थ — ये पापाशयरूपी संसारी जीव दुरन्त कर्मके संपातके प्रपंचके वशवर्ती होकर संसाररूपी वनमें निरन्तर भ्रमण करते हैं ॥ १५ ॥ किन्तु तिर्यग्गतावेव स्थावरा विकलेन्द्रियाः । असंज्ञिनश्च नान्यत्र प्रभवन्त्यङ्गिनः कचित् ॥ १६ ॥ अर्थ — किन्तु स्थावर, विकलेन्द्रिय ( द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय) और असंज्ञी (मनरहित पंचेन्द्रिय) ये तिर्यंचगतिमेंही होते हैं, अन्यत्र नहीं होते ॥ १६ ॥ उपसंहारविस्तारधर्मा हग्बोधलान्छनः । कर्त्ता भोक्ता वयं जीवस्त नुमात्रोऽप्यमूर्त्तिमान् ॥ १७ ॥ अर्थ — जीव संकोच विस्तार धर्मको लियेहुए दर्शन ज्ञानसहित है और स्वयम् कर्त्ता, भोक्ता तथा शरीरप्रमाण होकर अमूर्तिमान् है ॥ १७ ॥ उक्तं च ग्रन्थान्तरे-— जीवव्युत्पत्तिः । " तत्र जीवत्यजीवच जीविष्यति सचेतनः । यस्मात्तस्माद्दुधैः प्रोक्तो जीवस्तत्त्वविदां वरैः ॥ १ ॥” अर्थ – “उक्त सात तत्त्वोंमें जिससे चेतनासहित 'जीता है', 'जीता था' और 'जीवेगा' इस लिये तत्त्ववेत्ताओंमें, जो श्रेष्ठ बुद्धिमान् हैं उन्होंने 'जीव कहा है ॥ १ ॥ "
SR No.010853
Book TitleGyanarnava
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Baklival
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year1913
Total Pages471
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy