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________________ -- - - - - - सद्यायमाला.. | स दया सुविशेष ॥ ७॥ घर अनुसारें देजे दान, मोहोटाशुंम करे अनि | मान ॥ गुरुने मुख लेजे आखडी, धर्म न मूकीश एके घडी ॥ए। वारु शुद्ध करे व्यापार, उठा अधिकानो परिहार । म नरजे केनी कूडी साख, कूडा जनशुं कथन म लांख ॥१॥ अनंतकाय कही बत्रीश, अजय बा वीशे विश्वावीश ॥ ते नदण नवि कीजें किमे, काचां कूसां फल मतज़ि मे॥११॥ रात्रिनोजनना बहु दोष, जाणिने करजे संतोष ॥ साजी साबू लोहने गली, मधु धावडी मत वेचो वली ॥ १५ ॥ वली म करावे रंगण पास, दूषण घणां कहां ले तास ॥ पाणी गलजे बेबे वार, अणगल पीता दोष अपार ॥ १३ ॥ जीवाणीनां करजे यत्न, पातक बंमी करजे पुण्य ॥ बगंणां इंधण चूलो जोय, वावरजे जिम पाप न होय ॥ १४॥ घृतनी परें वावरजे नीर, अणगल नीर म धोश चीर ॥ ब्रह्मवत सूधुं पालजे, अति चार सघला टालजे ॥१५॥ कह्यां पन्नरे कर्मादान, पापतणी परहरजे खाण ॥ माथे म लेजे अनरथ दंग, मिथ्या मेल म नरजे पिंग ॥१६॥ समकित शुद्ध हैडे राखजे, बोल विचारीने जांखजे ॥ पांच तिथि म करे आरंज, पाले शीयल तजी मन दंन ॥१७॥ तेल तक घृत दूधने दहि, जघाडां मत मेले सही ॥ उत्तम वामें खरचे वित्त, पर उपगार करे शुन चित्त ॥ १७॥ दिवसचरिम करजे चोविहार, चारे थाहार तणो परिहार। दिवस तणां आलोए पाप, जिम जांजे सघला संताप ॥रए। संध्यायें आवश्यक साचवे, जिनवर चरण शरण जवनवे ॥. चारे शरण करी दृढ होय, सागारी अणसण ले सोय ॥२०॥ करे मनोरथ मन एहवा, तीरथ शेठेजे जायवा ॥ समेतशिखर आबू गिरनार, नेटीश हुं धन्य धन्य अव !! तार ॥ १॥ श्रावकनी करणी एह, एहथी थाय जवनो नेह ॥ श्राठे कर्म पडे पातलां, पापतणा बूटे आमला ॥२॥ वारु लहियें अमर वि मान, अनुक्रमें पामे शिवपुरधाम ॥ कहे जिनहर्ष घणे ससनेह, करणी ॥ इःखहरणी जे एह ॥ ५३॥ इति श्री श्रावकनी करणीनी सद्याय ॥ .. ॥अथ श्रीअनाथी मुनिनी-सद्याय ॥ ..... ॥श्रेणिक रयवाडी चढ्यो, पेखीयो मुनि एकंत ॥ वर रूप कांतें मो || ही, राय पुढे रे कहोने विरतंत ॥श्रेणिक राय, हुरे अनाथी निर्मथ ।। तिण में लीधो रे साधुजीनो पंथ ॥ श्रेणिक० ॥ १॥ ए श्रांकणी ॥ इणे || - - - -
SR No.010852
Book TitleSazzayamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1988
Total Pages425
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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