SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 57
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ “सद्यायमाला... - - नाक चूए नयणां करे, काम करीन शकाय ॥ मे । अ॥ए ॥ अधविध मारममां पड़े, जीवन मृत्यु समान ॥ मे ॥ हाथ पगोनी.नस गले. अमली आची शान मे ॥१०॥ आगराई आमेकह्यो, मात्र वी-माहे नेल । मे। आपदशं सखरूं नही, मिशरी[ मन मेलः ॥. मेक अ॥ ११ ॥ नवटॉक जे.नर जीरवे, तसु अहि विष न जलाय || मेण |॥ अमल घणुं खाधायकी, कंदर्प बल मिट जाय ॥ मे ॥ अथ ॥ १५॥ 'अमलीने नन्हुँ रुचे, टा( नावे दाय ।। मे ॥ खोजी रोटी:खांम घी, क पर दूध सुहाय ।। मे। अण्॥१३॥, कुलवंतीजे कामिनी, जारो जुग तिसुजाण । मे। काति विखी झण करी, अमलीने दीए प्राण ।। मे० || अ॥ १४॥ प्रीतम आशा पूरती, न करे रीश लगार ॥ मे ॥ करना । न लोपे कतर्नु, ते विरली संसार ॥ मे ॥ अंग ॥ १५॥ कुर्लागणी नारी, जिका, बोले कर्कश वाणी ॥ मे॥ रे रे अधम अफीशिया, आलसवंत अजाण ॥ मे॥०॥१६॥ परणी जाई पारकी, शं कीधुं तें घीउ ॥ मे०॥ पोतार्नु पण पेट ए, नितुर राय न नीठ :॥ मेकअ०॥ १७॥ कान कोट नूषणं सहु, वेची खाधुं तेह ॥ मे ॥ निर्लज तुझ घरवासमां, कहे सुख पाम्यु जेह ॥ मे ॥ ॥१७॥ अमल समो असुगो नहीं, मानो ए मुमशीख ॥ मे । बाले सुंदर देहडी, अंते मगावे नीख ॥ मे ॥ अ०॥१७॥ दालिसीने दोहिलं, सूर नग्यानुं शाल । मे ॥ श्रीमंतने पण नहीं नवं, जोतां ए जंजाल ॥ मे॥अ॥२०॥ सासु वहु वढतां उता, रीशे अमल नखंत ॥ मे॥ बालक खाये अजाणतां, जो घर अमल हवंत ॥ मे ॥०॥ २१॥ प्राणीवध ,जिणशं. हुवे, ते तो तजीयें दूर ॥ मे०॥ कर्मादान दशमं कर्ष, विष व्यापार पर ॥ मे०॥ अ॥ २२॥ चतुर विचार ए चित्त धरी, कीजे अमल परिहार ॥ मे०॥ खिमा विजय पं. मित तगो, कहे माणिक मनोहार ॥ मे० ॥ अ०॥ २३ ॥ इति ॥ . ॥अथ शीखामनी सद्याय ॥ ५ ; . . • ॥ श्रीगुरु चरणं पसानलें, कहिशं शोखामण सार ।मन समजावो रे आपगुं, जिम पामो नव पार ॥ १॥ कहे नाइ रुडु ते शुं करयु, आतमने हितकार ॥ इहलव परनव सुख घणां, लहिये जयजयकार.॥ कहे. ॥२॥ लाख चोराशी योनि तुं नमि, पाम्यो नर अवतार ॥ देव गुरु धर्म । -
SR No.010852
Book TitleSazzayamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1988
Total Pages425
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy