SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 373
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (३५६). सद्यायमाला. - .: ॥ अथ षष्ठ व्याख्यान सद्याय प्रारज्यते ॥ . . . . J.. ढाल सातमी॥ थोयनी देशी॥'चारित्र लेता खंधे मूक्यु; देवपुष्य सुरनाथे जी॥ अर्ड तेहy आप्युं प्रजु जी, ब्राह्मणने निज हाथे जी॥२॥ विहार करतां कांटे वलग्युं, बीजुं अर्फ ते चैल जी॥ तेर मास सचैलक रहिया, पडे कहिये अचैल जी॥२॥ पन्नर दिवस रही तापस आश्रमे,, खामी प्रथम,चोमासे जी ॥ अस्थिप्रामे पहोता जगगुरु, शूलपाणिनी पा से जी ॥३॥ कष्ट खनाव व्यंतर तेणे कीधा, उपसर्ग अति घोर जी।सही | परिसह ते प्रतिबोधी, मारी निवारी जोर जी ॥४॥ मोराक गामे कानस्स ग्ग प्रजुजी, तापत तिहां करजेदी जी ॥ अहवंदकनुं मान उताऱ्या, ईवें आंगुली बेदी जी॥५॥ कनकबले कोशिक विषधर, परमेश्वरे पडिबोह्यो, जी ॥धवल रुधिर देखो जिन देहे, जातिसमरण सोयो जी ॥६॥ सिंह दे व जीवे कियो परिसह, गंगानदी उतारे जी ॥नावनेम ज्ञान करतो देखो, कंबल संबल निवारे जी॥७॥ धर्माचार्य नामे मंखली, पुत्रे परिघल ज्या ला जी ॥तेजोलेश्या मूकी प्रजुने, तेहने जीवितदान थाख्यां जी ॥॥ वा. सुदेव जवे पूतना राणी, व्यंतरी तापस रूपे जी ॥ जटा जरी जल बांटे प्रजुने, तोपण ध्यानखरूपे जी॥ए। प्रशंसा अणमानते संगमे, सुरे बहु सुःख दीधां जीएक रात्रिमा वीश उपसर्ग, कगेर निगेर तेणे की धा जी ॥१०॥ उमासवाडा पूठे पडियो, आहार असूजतो करतो जी॥ निश्चल ध्यान निहाली प्रजुनु, नागे कर्मथी मरतो जो ॥११॥ हजी कर्म ते अघोर जाणी, मनें अनिग्रह धारे जी ॥ चंदनबाला अडदने बाकुले, षटमासी तप पारे जी ॥१शा पूरव जब वैरी गोवाले, काने खीला गेक्या जी॥ खरक वैये खेची काढ्या, इणपेरे सङ कर्म रोक्यां जी ॥ १३ ॥ बार वर्ष सहेतां श्म परिसह, वैशाख शुदि दिन दशमी जी केवलज्ञान ऊप. न्यु प्रजुने, वारी चिहुंगति विषमी जी ॥१॥ समोसरण तिहां देवे रचि युं, बेग त्रिजुवनं ईश जी ॥शोनिता अतिशय चोंत्रीशे, वाणी गुण पत्रिीश जी॥१५॥गौतम प्रमुख एकादश गणधर, चौद सहस मुनिराय जी साध वी उत्रीस सहसअनोपम, दीठे फुर्गति जाय जी ॥१६॥ एक लाख ने सह सगणसाउ,श्रावक समकितधारी जी॥त्रण लाख ने सहस अढारसें,श्रा विका सोहे सारी जी ॥१७॥ स्वामी चनविह संघ अनुक्रमे, पावापुरी पाय - - -
SR No.010852
Book TitleSazzayamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1988
Total Pages425
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy