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________________ -- - Tadam - (३०) ' संद्यायमाला. नी रे, ते सूरीकंता नार ॥ निजपतिने हाथे हण्यो, पहोतो ते स्वर्ग मकार || ॥ कामी॥५॥ ब्रह्मदत्त निज सुत उपरें रे, कीधों एकत्र प्रपंच ॥ चूकी चूलणी मारवा, कामह केरा ए संच || कामी॥६॥ इत्यादिक कामें करी रे, पाम्या कुःख अछेद ॥ एणे नव तो लंपटीतj, नाम धरावे तेह । ॥ कामी ॥७॥ परजव तो नरकें पचे रे, नाम थकी ए जीव ॥ मुनिन धर कहे प्राणीया, वो काम सदैव ॥ कामी॥ ॥ इति । ॥ अथ नेमराजुलनी सद्याय प्रारंजः॥ . ॥जोषी ताहारा फतडामां जोय, केटले दाहाडे हे हांजो मारु श्रा वशे जी ॥ ए देशी ॥ गोखमें सखीयो संघात, राजुल निरखे हे पीयुने श्रावतां वेगलो जी ॥ बेनि सुणोने एक वात, सरखीने जोडी हे बाइरे वर शामलो जी ॥१॥ काला हो मेघ मलार, काला कृष्णागर हे अंजन शोहे आंखडीजी॥ रंगें रमो मलि सखी आज, परंणीने काले हे सास रीये जाशो वही जी॥२॥ मुफ फरके दाहिण अंग, लगनमां विघनज हे बेनी रे होशे सही जी ॥ राजुल सुण ससनेह, वांछित फलशे हे बा रे बोलो एम नहिं जी ॥३॥ तोरण आव्या जब नेम, पशुश्र पेखी ने हे पूढे रे सारथिप्रत्ये जी ॥ सारथि कहे सुणो वाभि, लगन प्रनाते हे. हणशे रे गोरवप्रत्ये जी ॥४॥ धिग् होजो एह संसार, मुऊने पर पंतां हे हिंसा रे होशे घणी जी ।। पशु बोडाव्यां प्रजु नेम, रथडो वाली ने हे चाल्या रे खामी घरजणी जी ॥५॥ प्रजु संवत्सरी देश दान, स हंस पुरुषशुं हे संयम लेश गिरिवर गया जी ॥ चोपन दिन मुनि राय, घाती खपावीने हे केवलमय प्रजुजी थया जी ॥ ६ ॥ जूवे ते राजुल नार, रयडो वालंता हे देखीने धरणी ढली जी॥जनके सचेतन कीध, परणावू बेटी हे नेमी वर जलो बली जी ॥७॥ सुणी करि चवे निज कान, तातजी माहरे हें अवर बांधवने पिता जी ॥ अष्ट नवनी स्वामी प्रीत, नवमे बोडीने हे वह्यो रे सुर केम जता जी ॥७॥ उत्तमनी नहिं एरीत, विण अवगुणे हे बोडी रे खामी तुम गया जी ॥ मुझ त्यजी पीयु तमें नार, बीजी वरीने हे त्रीजीने जजता थया जी ॥ ए॥ एम क हेती सखीयो संघात, मारगजातां हे घणेरी सखीथी जुश्थईजीएकली राजुल नार, गिरनार चढीने हे सुकायां चीर गुफा जश् जी॥ १० ॥ रह -
SR No.010852
Book TitleSazzayamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1988
Total Pages425
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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