SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 279
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (२६३) सद्यायमालो. - - पूरणं सुर नर सुख रे ॥ जाण ॥७॥ प्रण पन्नर सिझना रे, जाणिये पूर।। ण नेदरे । पूरण पन्नर योगना रे, ते पण जावनिर्वेद रे ॥ ना॥ पन्नर जातिनां जांखियां रे; परमाधामी जोर रे॥ ते पण पुःखयकी लूटी। ये रे, टाली ते कर्म अघोर रे ॥ नाण॥१०॥पन्नर कर्म नूमि उलंखी रे, बंमो कषाय ते शोल रे ॥ नवियण दिन दिन पामीयें रे, संपदा पुण्यरंग रोल रे ॥ जाण॥१९॥ जिम शशी शोलकला सही रे, नांखे जिनवर वाचरे । ॥तिम ए धर्मकला शशी रे, पामीयें जगतमा साच रे ॥ जाण ॥ १२॥ पूरणमासी ए जाणीने रे, जे सही करशे ए पुण्य रे. ॥ विजयलब्धि ते पामशेरे, दिन दिन निज सुखतन्न रे ॥ना॥१३॥ आग्म चउदर्श पूर्णिमा रे, अंग उपांगें अधिकार रे ॥ जिनवरे कहियो महानिशीथमां रे, बीजप्रमुखनो विचार रे ॥ जाण ॥१४॥ ते सविजाणो व्यवहारथी रे, धर्म उद्यम उपदेश रे॥ निश्चयमा अप्रमादी जे होवे रे, ते पाले पन्नर तिथि विशेष रेला॥१५॥ एम जाणीने नविनावियें रे, अव्य ने जावथी धर्म रे। सघली तिथि आराधता रे, लब्धि कहे सदा सुख शर्म रे॥जाण॥१६॥ ॥अथ श्रीज्ञानविमलजीकृत सतासतीनी सद्याय प्रारंजः॥ ॥ सुप्रनात नित्य वंदियें, नरतबाहु बली थंना रे ॥ अन्नय कुमार ने ढंढणो, सिरि ने कयवन्नोरे॥सुणा॥ अर्णिकापुत्र ने अयमत्तो, नागदत्त थूलिनदो रे ॥ वयरस्वामी नंदिखेण जी, धन्नो ने ससिजद्दो रे ॥सुण॥५॥ सिंहगिरि किर्ति सुकोसलो, करकंकू पुमरीको रे॥ सु॥३॥ गयसुकुमाल || जंबु प्रक्षु, केशी अवंती सुकुमालो रे॥ दशारण ला जस नजी, श्वाती चिलाती पुत्र सालो रे॥ सु॥ ४॥ बाहु उदाश् मनक मुनि, आयरदित आर्य गिरीशो रे ॥ आर्यसुहस्ती अनव वली, संब प्रद्युम्न मुनीशो रे।।सु ॥ ५॥ मूलदेव कालिक सूरि, विष्णुकुमार श्रेयांसो रे ॥ आर्मक दृढ प्रहार वली, कूरगडु मेह मुनीशो रे ॥ सु०॥६॥सयंजव प्रसन्नचंड जी, महासाल वंकचूलो रे ॥ एह सता नाम लीजियें, जिम होय सुंदर कुलो रे। सु०॥७॥ सुलसा चंदनबालिका, मणोरमा मयणरेहा रे॥ कुंती न मैदासुंदरी, ब्राह्मी सुंदरी गुणगेहा रे ॥ सु० ॥७॥ दमयंती सती रेवती, शिवा जयंती नंदा रे ॥ देवकी जौपदी धारिणी, श्रीदेवी सुजला जदारे ॥ सु०॥ ए॥रुषिदत्ता राजीमती, पद्मावती प्रजुवती कहीये रे ॥ अंज. - - - - -
SR No.010852
Book TitleSazzayamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1988
Total Pages425
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy