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________________ पनरतिथिनी सद्याय, () - - - - - - - -mm ommun m -moreanew - ॥रणाहनव परजव जवोनवे ॥सुणा पामिये सुख विचित्र|सा संतोष । राखी आतमा ॥ सु॥ की पुण्य पवित्र ॥ स॥१९॥ लब्धि कहे नाव श्ण विधे॥ सु॥ आदरे प्राणी जेह ॥ स॥ सात रज्ज्वातम नेदीने ॥ सुण ॥ सवि सुख लेहेशे तेह ।। स० ॥ १५ ।। इति ।। ॥ अथाष्टमीनी सद्याय प्रारंजः ।। ॥हरिया मन लागो । ए देशी ॥ आराम कहे आठ मदनो, प्राणी मूको ते गम रे ॥ नवियण हित धरी ॥ आठ प्रकारे आतमा, उलखो तुमें अचिराम रे ॥ ज०॥ १ ॥ पडिक्कमणां पोपा करी, तोडो दुःखना वर्ग रे॥ ज० ॥ समिति गुप्ति सूधां धरी, मेलो सुख अपवर्ग रे ॥ १॥ ॥ अष्ट महागुण सिझना, ध्यावो ते निश दीस रे ।। ज० ॥ अष्ट महा सिद्ध संपजे, पहोंचे मनह जगीश रे॥१०॥३॥ जिनदेवनी करो हा जरी, दिल पाक करी मन कोड रे । जय ॥ सनरूपी घोडो वनावीयें, गुरुज्ञान लगाम जोड रे । न॥४॥ शीलनी पाखर नाखीये, तपरूपी खजलेश हाय रे ॥ ॥ क्षमा वक्तर पेहेरीने, ध्यान कवाण सलोथ रे ज०॥ विरति तीर चलावीने, अष्ट करम मद मोडि रे ॥लणा विषय कपाय जे आकरा, तेदना ते मस्तक तोडि रे॥ ज०॥६॥ श्रीजिन आगल आवीने, मुजरो करो कर जोडि रे । न॥श्रीजिन केरा पसायथी, मोद शहेरे जाउँ दोडी रे॥॥॥ आठम दिन शुज जाणीने, धर्मनां करि ये वखाण ॥ ज०॥ कपटनो कोट नमाडिये, वाजे युंजीतनिशान ॥०॥ ॥ एणिपरें अष्टसी नावगुं, आदरे प्राणी जेहरे ॥ ज ॥ लब्धि कहे नवि तस घरे, प्रगटी पुण्यनी रेह रे ॥ ज०॥ ए॥ति ॥ . ॥अथ नवमीनी सद्याय प्रारंजः॥ । ॥ वन्यो रे विद्याजीनो कलपडो॥ ए देशी । जीरे नवमी को नमी सदा, एतोश्रीजिनकेरां विव हो विशेष ॥ नव अंगे पूजा बनावीयें, एतो मूकी मननो दंन हो। विशेणा॥ नवियण शुजनावें करी ॥ए आंकणी॥ दमो विषयकषाय अतीव हो॥विणास्नात्र महोत्सव कीजीयें, एतो दीजें दान सदीव हो। विजानाशाजीरे पूजा नक्ति प्रजावना, करि रोपे जे कीर्ति न हो ॥विणा सुख अनंतां ते वरे, तस जसजणे सुर रंग हो । विण ॥ ज० ॥३॥ जिरे जिन आगें स्तवना जावद्यु, एतो जे करे नाटारंज - - - - - - - - -
SR No.010852
Book TitleSazzayamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1988
Total Pages425
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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