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________________ प्रेमी-अभिनदन-प्रय ५०८ ६. आराधनासार• (सटीक) मूलकर्ता देवसेन और टीकाकार रत्नकीतिदेव । सशोधक स्व०प० मनो. हरलाल शास्त्री । इसमें जैन सिद्धान्त सम्मत दर्शन, ज्ञान, चारित्र्य और तप इन चार आराधनामो से सवधित सामग्री है। पृष्ठ १२८ । मूल्य साढे चार आना। स० १६७३। ७. जिनदत्त चरितम् : नो सर्गों में जिनदत्त का जीवन-चरित है। अथकर्ता गुण भद्राचार्य । सशोधक १० मनोहरलाल शास्त्री। पृ० ६६ । मूल्य साढे चार आना । स० १९७३ । (अप्राप्य) ८ प्रद्युम्न चरितम् : आचार्य महासेन कृत प्रद्युम्न का जीवनचरित । सपादक प० मनोहरलाल शास्त्री और प० रामप्रसाद जी शास्त्री । पृ० २३० । मूल्य आठ आना। स० १९७३ । ६ चारित्र्यसार • चामुण्डराय कृत । सशोधक प० इन्द्रलाल शास्त्री तथा उदयलाल काशलीवाल । गृहस्थ और साधु के चारित्र्य सवधी नियमो का इसमें उल्लेख है। पृ० १०४ । मूल्य छ पाना । स० १९७४ । (अप्राप्य)। १०. प्रमाण निर्णय ग्रन्थकर्ता वादिराजसूरि । यह ग्रन्थ जैनदर्शन से सवध रखने वाला है। इसमें जनदर्शन सम्मत प्रमाणो की प्रबल युक्तियो के साथ प्रतिष्ठा की गई है। प० इन्द्रलाल शास्त्री और प० खूबचन्द्र जी शास्त्री ने इसका सशोधन किया है । पृ० सख्या ८० । स० १९७४। मूल्य पांच आना। (अप्राप्य)। ११ आचारसार. वीरनन्दि प्राचार्य कृत । सपादक ५० इन्द्रलाल शास्त्री और मनोहरलाल शास्त्री। पृष्ठ मख्या १००। मूल्य छ आना। (अप्राप्य) १२ त्रिलोकसार ग्रन्थकर्ता श्रीमन्नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती और टीकाकार श्री माधवचन्द्र विद्य दा। इस ग्रन्थ मे तीनो लोको का जैन-सम्प्रदाय-मान्य विस्तृत विवेचन है । सशोधक प० मनोहरलाल शास्त्री पृष्ठ सय ४५० । स० १९७५ । मूल्य एक रुपया. बारह आना। (अप्राप्य) १३. तत्त्वानुशासनादिसमह : इसमें निम्नलिखित छोटे-बडे ग्रन्थ सगृहीत है १-नागसेन मुनि-कृत तत्वानुशासन । २--पूज्यपाद स्वामिकृत इष्टोपदेश (आशाधर कृत टीकासहित)। 3--भट्टारक इन्द्रनन्दिकृत नीतिसार । ४--मोक्षपचाशिका। ५---इन्द्रनन्दि आचार्य कृत श्रुतावतार । ६--सोमदेवकृत अध्यात्मतरगिणी (सटिप्पण) । ७-विद्यानन्दि-कृत पात्रकेगरिस्तोत्र (सटीक)। ८-वादिराज-कृत अध्यात्माष्टक । 8-अमितगतिसूरि-कृत द्वात्रिंशतिका । १०--श्री चन्द्रकृत वैराग्य-मणिमाला। ११-श्री देवसेन कृत तत्त्वसार। १२--ब्रह्म हेमचन्द्र कृत श्रुतस्कत्य (प्राकृत)। १३-ढाढसी गाथा (प्राकृत)। १४-पयसिंह मुनि कृत ज्ञानसार (प्राकृत) । सशोधक प० मनोहरलाल शास्त्री । पृष्ठ सख्या १७६ । स० १९७५ । मूल्य चौदह आना । (अप्राप्य)। १४. अनगारधर्मामृतम् (सटीकम्) • अथकर्ता पडितप्रवर आशाधर । इस पर ग्रन्थकार ही की स्वोपज्ञभव्य कुमुदचन्द्रिका टीका है। सशोधक प० वशीधर जी न्यायतीर्थ और प० मनोहरलाल शास्त्री। इसमें मुनिधर्म का विस्तृत निरूपण है। पृष्ठ सख्या ६९२ । स० १९७६ । मूल्य साढे तीन रुपया (अप्राप्य) १५. युक्त्यनुशासनम् . ग्रन्यकर्ता स्वामी समन्तभद्र और टीकापार स्वामी विधानन्दि । यह जैनदर्शन का
SR No.010849
Book TitlePremi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremi Abhinandan Granth Samiti
PublisherPremi Abhinandan Granth Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size34 MB
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