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________________ २५६ प्रेमी-अभिनंदन-मंथ, होती थी। कभी-कभी यहाँ अत्यधिक वर्षा के कारण फसल नष्ट हो जाती थी और जन-साधुओं को ताड के फलो पर रहकर गुजर करनी पडती थी। तीसलि में बडी-बडी भयानक भैसें होती थी। कहते है कि एक बार इन्होने तोसलि प्राचार्य को मार डाला था।''डॉक्टर सिल्वेन'लेवी कटके में धौलि नामक ग्राम को प्राचीन तीसलि मानते है। ५ काशी (वाराणसी) काशी व्यापार का एक बडा केन्द्र था। काशी और कोशल के अठारह गणराजा,वैशाली के राजा चेटक की अोर से कूणिक के विरुद्ध लडे थे। काशी के राजा शख का उल्लेख जैन-ग्रन्थो में प्राता है, जो महावीर का समकालीन था और जिसने महावीर के समीप दीक्षा ग्रहण की थी। जैनदीक्षा ग्रहण करने वाले अन्य राजानो से वीरागक, वीरयश, सजय, एणेयक, श्वेत (सेय), शिव और उदायन ये राजा मुख्यरूप से गिनाये गये है। दुर्भाग्यवश इन राजानो के विषय में कोई विशेष जानकारी नहीं मिलती। वाराणसी (बनारस) पार्श्वनाथ का जन्मस्थान था। महावीर और बुद्ध ने यहाँ अनेक बार विहार किया या। हेमचन्द्र के समय काशी और वाराणसी एक समझे जाते थे। ६ कोशल (साकेत) । कोशल अथवा कोशलपुर (अवध) जैन लोगो का एक प्राचीन स्थान, था। जैसे वैशाली में जन्म होने के कारण महावीर को वैशालिक कहा जाता है, वैसे ही ऋषभनाथ को कोशलिक (कोसलिय) कहा जाता है। ऋषभनाथ ने कोशल में विहार किया था और इस देश की गणना भारत के मध्यदेशो में की जाती थी। कोशल का प्राचीन नाम विनीता था। कहते है विनीता के निवासी नाना प्रकार की कलानी में कुशल थे, इसलिए लोग विनीता को कुशला नाम से कहने लो।' दशपुर तथा उज्जयिनी के समान, कोशल देश जीवन्तस्वामीप्रतिमा-के-लिए-प्रसिद्ध था। कोशल के लोग सोवीर (एक प्रकार की मदिरा) और कूर (चावल) के बहुत शौकीन होते थे। बौद्ध-ग्रन्थों के अनुसार श्रावस्ति और साकेत ये कोशल की दो राजधानियां थी तथा सरयू नदी बीच में श्रा-जाने के कारण यह-देश उत्तर कोशल और दक्षिण कोशल में विभक्त था। साकेत में पाश्वनाथ और महावीर ने अनेक बार विहार किया था। कहा जाता है कि यहाँ कोटिवर्ष के राजा चिलात को महावीर ने दीक्षा दी थी। साकेत की पहचान उन्नाव जिले में साई नदी पर सुजानकोट के ध्वसावशेषो से की जाती है। 'बृहत्कल्पभाष्य १.१०६० चूणि, पृ० २४७ 'प्री आर्यन एड विडियन इन इन्डिया, बागची, पृ० ६३-७२ *निरयावलि १ 'स्थानांग २.६२१ 'जम्बूद्वीपप्राप्ति ३.७० * टीका (मलयगिरि), पृ० २१४ 'बृहत्कल्पभाष्य ५.५८२४ "पिडनियुक्ति ६१६ नियुक्ति १३०५
SR No.010849
Book TitlePremi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremi Abhinandan Granth Samiti
PublisherPremi Abhinandan Granth Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size34 MB
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