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________________ आयोजन का स्वागत सर सर्वपल्ली राधाकृष्णन् मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि श्री नाथूरामजी प्रेमी को एक अभिनन्दन-ग्रन्य भेट किया जा रहा है। प्रेमीजी स्वय विद्वान् है और उन्होने उच्च कोटि के बहुत मे ग्रन्य प्रकाशित किये है। उन ग्रन्यो के द्वारा उन्होने हिन्दीप्रकासन-क्षेत्र मे उच्च आदर्श स्थापित किया है। मुझे मालूम हुआ है कि उनके प्रकारान-गृह, हिन्दी-गन्य-रत्नाकर', का हिन्दी-जगत् में बड़ा सम्मान है। में इस आयोजन की सफलता चाहता हूँ। बनारस] अभिनंदन श्री पुरुषोत्तमदास टण्डन श्री नाथूराम जी प्रेमी ने हिन्दी की स्मरणीय सेवा की है। उन्होने हिन्दी में ऊंचे स्तर के गन्य-प्रकाशन की कल्पना उस समय की जव इस ओर बहुत कम लोगो का ध्यान था। हिन्दी-साहित्य की वृद्धि मे और उसके प्रचार में उनका जो भाग रहा है, उसके लिए वह हमारी कृतज्ञता के पात्र हैं। उनके मम्मानार्थ प्रेमी-अभिनदन-ग्रय प्रकाशित करन की योजना का मै हार्दिक स्वागत करता हूँ और उसकी सफलता चाहता हूँ। इलाहावाद] सौमनस्य के दूत श्री काका कालेलकर श्री नाथूगम जी प्रेमी स्वय एक वडी सस्था है। उनकी की हुई हिन्दी की सेवा हिन्दी के उपासक कभी भी भूल नही सकेंगे। उनका किया हुआ सशोधन मारके का है। अनुवाद-ग्रयो में भी उन्होने अच्छी अभिरुचि वताई है। गुजराती, बंगला, मराठी और हिन्दी, इन प्रधान भाषाओ के वे सौमनस्य के दूत (Ambassador of goodrill and understanding) है। ऐसे व्यक्ति का अभिनदन अवश्य होना चाहिए था। मदरास में मन् १९३४ के करीव स्वर्गीय श्री प्रेमचन्द जी के साथ वे आये थे। तब मैने प्रेमीजी से प्रार्थना को थी कि प्रेमचन्द जी के ग्रन्यो मे अरवी-फारसी के जो गन्द आते है, उनका हिन्दी मे अर्थ देने वाला एक नागरी-कोष हमे दीजिए। बडी ही स्फूति से उन्होने हमे देवनागरी उर्दू-हिन्दी-कोप तैयार करवा कर दिया। इस कोष ने राष्ट्र-भाषा हिन्दुस्तानी की उत्कृष्ट मेवा की है। इसके लिए हम प्रेमीजी के बहुत ही कृतज्ञ है। मुझे उम्मीद है कि प्रेमीजी से, इसी प्रकार, बहुन-कुछ सेवा हमें मिलेगी। वर्धा
SR No.010849
Book TitlePremi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremi Abhinandan Granth Samiti
PublisherPremi Abhinandan Granth Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size34 MB
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