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________________ विक्रम और बेताल-कथा में तथ्यान्वेषण १४१ और उस वेताल की दृष्टि में, जिसने अनेक शासको का अस्तित्व नामशेष कर दिया था और एक दिन से अधिक उन्हें शासक नही रहने दिया था, विक्रम तुल गया था और आगे के लिए वह स्थायी शासक वना दिया गया । वेताल का सहयोग भी विक्रम को प्राप्त रहा। इस कथा में से 'रूपक' का आवरण हटा दिया जाय तो भी इतना स्पष्ट हो जाता है कि विक्रम के निकट वेताल की अद्वितीय शक्ति थी । उसी के कारण कोई सिंहासन पर स्थायी रूप से नही बैठ सकता था और यदि विक्रम बैठा तो उसी की कृपा से । इससे यह विदित होता है कि बेताल अवश्य ही उज्जैन के शासन का वडा ही उग्र और तेजस्वी नेता रहा होगा । यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि केवल शासन तक ही वेताल का आतक था । इससे अनुमान होता है कि वह शुद्ध राजनैतिक नेता था । यही कारण है कि उसकी कथाओ में कही भी प्रजा उपद्रव की चर्चा नही है । इस सवसे हमारी मान्यता यही होती है कि वेताल श्राग की तरह तेजस्वी था । कोई आश्चर्य नही कि वह मानव- गणो मे से ही कोई प्रमुख हो । उसे व्यक्तिश शासक बनने का शौक नही था, किन्तु वह राजाओ का निर्माता (King-maker) और उनका सचालक बनना चाहता था । श्री विजय भट्ट जैसे विद्वान् ने अपने विक्रमादित्य चित्र-पट में वेताल को तेजस्वी श्रीर महान् देश-भक्त प्रवान अमात्य वनाकर उसके द्वारा जो कार्य सम्पादित उज्जैन के वेताल-मंदिर का एक दृश्य करवाया है, वह उचित ही प्रतीत होता है और उससे बेताल की वास्तविक स्थिति की प्रतिष्ठा होती है । वेताल को भूत-प्रेत आदि की श्रेणी में विठला देने का कार्य सम्भवत शक-काल में शक अथवा अन्य शासन के किसी श्राश्रित ने रूपक देकर किया होगा । यह तो जगद्विश्रुत है कि सवत् प्रवर्तक विक्रम का शासन उज्जैन पर रहा है । फिर चाहे वह कोई भी विक्रम हो, उसका सहायक वेताल भी था। क्षेमकर ने 'कथा - सरित्सागर' मे. वेताल का नाम 'अग्निशिख' बतलाया है और मेरुतुग सूरि ने उसे 'अग्निवर्ण', कहा है। दोनो से एक ही बात प्रकट होती है, अर्थात् वेताल 'अग्नि' की तरह उग्र तेजस्वी व्यक्ति था । मालवी भाषा में इसी को 'आगिया (अग्नितुल्य) वेताल' कहकर सम्बोधित किया है । इतना ही नही,
SR No.010849
Book TitlePremi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremi Abhinandan Granth Samiti
PublisherPremi Abhinandan Granth Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size34 MB
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